आदिवासी कृृषक भू-अधिकार सम्मेलन में हुए शामिल,
किसानों को सौपें भू-अधिकार पत्र
रायपुर(media saheb.com) कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी शनिवार को बस्तर के ग्राम धुरागांव में आयोजित आदिवासी कृृषक भू-अधिकार सम्मेलन में शामिल हुए। राहुल गांधी ने इस अवसर पर किसानों से वर्ष-2008 में अधिग्रहित की गई जमीन वापस करने और उनके जमीन का भू-अधिकार प्रदान करने के उद्देश्य से किसान किताब और अधिग्रहित जमीन वापसी का प्रमाणपत्र प्रदाय किया। राहुल ने एक बार फिर जीएसटी को ”गब्बर सिंह टैक्स” की संज्ञा दी। उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर उनकी पार्टी केन्द्र की सत्ता में आती है तो जीएसटी को खत्म कर दिया जाएगा।
कृृषक भू-अधिकार सम्मेलन पहुंचने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने परम्परागत गौर मुकुट पहनाकर स्वागत किया। भूपेश बघेल ने उन्हें छत्तीसगढ़ शासन के 2019 के ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ अवधारणा पर आधारित शासकीय कैलेण्डर की प्रति भेंट की। इसमें 8 जून 1972 को बस्तर में देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के बस्तर के आदिवासियों के साथ नृत्य करते हुए का अविस्मरणीय फोटोग्राफ भी शामिल किया गया है।
मोदी सरकार पर जमकर बरसे राहुल
राहुल गांधी ने कहा कि 2019 में उनकी सरकार बनी तो वो गब्बर सिंह टैक्स की जगह एक सरल टैक्स तैयार करेंगे। राहुल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार मात्र 1500 से 1600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदा करती थी लेकिन कांग्रेस की सरकार आई तो यह कीमत किसानों को 2500 रुपये मिलने लगी। राहुल ने पूर्व के रमन सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछली सरकार कहती थी कि किसानों को देने के लिए पैसे नहीं हैं। उन्होंने सवाल पूछा कि जब उस वक्त पैसे नहीं थे, तो फिर कांग्रेस की सरकार आते ही, पैसे कहां से आ गए। बीजेपी, आरएसएस व रमन सिंह के पास पैसे की कमी नहीं है, लेकिन वो आप लोगों के पैसे लेकर या तो अपना पाॅकेट भरते थे या फिर अपने 15 मित्रों के जेबों में डालते थे।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों को सिर्फ साढ़े तीन रुपये प्रतिदिन के हिसाब से पैसे देने की बात कहकर उनका मजाक उड़ाया है। अगर उनकी सरकार बनी तो कांग्रेस किसानों के लिए मिनिमम गारंटी इनकम तय करेगी।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत, सांसद पी.एल. पुनिया सहित मंत्रिमंडल के सदस्यगण सहित जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में आदिवासी एवं किसान शामिल हुए।