- लोगों ने कहा चार साल ड्रॉप ले लिया अब बस करो, मैंने हार नहीं मानी
- दूसरे ग्रह के नहीं अपने बीच पढऩे वालों का होता है सलेक्शन, फिर डरना क्यों
भिलाई(media saheb.com) | अक्सर लड़कियों की पढ़ाई को लेकर हमारे समाज में आज भी एक तबका उंगली उठाने से बाज नहीं आता। उन्हें लगता है कि लड़कियां हैं क्या ड्रॉप लेकर साल खराब कर रही हैं। ड्रॉप के चक्कर में उम्र बढ़ जाएगी तो शादी ब्याह में दिक्कत आएगी। शुक्र है सौम्या के परिवार को ऐसे लोगों की सोच से फर्क नहीं पढ़ता। उन्होंने एक दो नहीं अपनी बेटी को मेडिकल कॉलेज में देखने के लिए पूरे चार साल इंतजार किया। जी हां चार साल लगतार ड्रॉप लेकर जब राजिम की रहने वाली डॉ. सौम्या गुप्ता मेडिकल कॉलेज पहुंची तो टीचर मां ने पूरे मोहल्ले में मिठाई बंटवाई थी। ये कहानी है मिडिल क्लास फैमिली की उस बेटी की जिसने हर हाल में डॉक्टर बनने की ठान ली थी। आज एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करके कोरबा जिले के सरकारी अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर के रूप में मरीजों का इलाज कर रही है। डॉक्टर सौम्या कहती है कि उनके अंदर गजब का व्हील पॉवर था। अगर चौथे ड्रॉप में भी सलेक्शन नहीं होता तो पांचवे साल भी मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के लिए मन बना लिया था। डॉक्टर बनने के लिए मोटिवेशन भी इतना स्ट्रांग था कि जिसे विपरीत परिस्थिति और लगातार मिल रही असफलता भी नहीं तोड़ पाई।
बीएएमएस में एडमिशन लेकर दिया मेडिकल एंट्रेस
डॉ. सौम्या ने बताया कि तीन साल लगातार ड्रॉप के बाद भी जब एमबीबीएस में सलेक्शन नहीं हुआ तो उन्होंने बीएएमएस ज्वाइन कर लिया था। बीएएमएस के साथ-साथ मेडिकल एंट्रेस के सिलेबस को पढ़ती रही। चौथे साल सीजी पीएमटी क्वालिफाई करके अपना सपना पूरा कर ही लिया। कई लोगों को लगता था कि मैंने अपना कीमती साल बर्बाद किया लेकिन जब एप्रॉन पहनकर मेडिकल कॉलेज पहुंची तो बधाई देने वालों में सबसे पहले वहीं लोग शामिल थे। बचपन में मां मुझे परियों की जगह डॉक्टरों की कहानी सुनाया करती थी। तब डॉक्टरों के बारे में जानकर मन में सोचती थी कि उन्हें जादू आता है, तभी तो झट से मरीजों को ठीक कर देते हैं। वो कहानियां मेर मन मस्तिष्क में ऐसी बैठी कि डॉक्टर से कम कुछ भी मंजूर ही नहीं था। हर असफलता पर जब निराश होती तो मां मुझे हौसला देते हुए कहती कि सौम्या तुम कर सकती है।
सचदेवा जाकर पता चला कि कैसे करते हैं मेडिकल एंट्रेस की तैयारी
डॉ. सौम्या ने बताया कि जब उन्होंने 12 वीं बोर्ड की परीक्षा के बाद तैयारी के लिए सोचा तब उनके भाई ने कहा कि भिलाई में सचदेवा कोचिंग ज्वाइन कर लो। उस वक्त मुझे पता भी नहीं था कि मेडिकल एंट्रेस की तैयारी कैसे करते हैं। कौन-कौन सी परीक्षाएं होती हैं। सचदेवा के टीचर्स ने बेसिक से पढ़ाई करवा कर इस काबिल बना दिया कि लास्ट इयर बिना कोचिंग के सीजी पीएमटी क्वालिफाई कर लिया। यहां के टीचर्स इतने फ्रेंडली हैं कि डाउट पूछने में कभी झिझक भी नहीं हुई। साथ ही काम्पिटिशन का एक अलग ही माहौल यहां है जो टेस्ट सीरिज के दौरान खुद को परखने का मौका देता है। सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन की मोटिवेशन क्लास की बात ही निराली थी। वो अक्सर हमें कहा करते थे कि सलेक्ट होने वाले बच्चे किसी दूसरे ग्रह से नहीं आते बल्कि आप लोगों के बीच के ही होते हैं। इसलिए डरने की जगह बस मेहनत करो। सलेक्शन कोई नहीं रोक सकता। ये बातें सुनकर ही इन चार सालों में मैंने कभी गिवअप करने का नहीं सोचा।
गलतियों से सीखना हैं उन्हें दोहराना नहीं है
नीट की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स से कहूंगी कि रटने की बजाय पैटर्न और सब्जेक्ट को समझकर पढ़ाई करें। ड्रॉप इयर और एग्जाम में किए गलतियों से सीखकर आगे बढ़े, उन्हें दोहराए नहीं। टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी है। अगर आपने एग्जाम में टाइम मैनेज नहीं किया तो सारी पढ़ाई वेस्ट हो जाएगी। खुद को हमेशा मोटिवेट करते रहिए। अगर निराश होते हैं या डिप्रेस होते हैं तो अपने दोस्तों और पैरेंट्स से बात कीजिए। (the states. news)

