वाराणसी/(media saheb) प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की सामर्थ्य और प्रतिभाओं का प्रतीक हम आपको मानते हैं। आप लोग जहां हैं वहां की अर्थव्यवथा को समृद्ध किया है। आप ने वसुधैव कुटुम्बकम और पारिवारिक मूल्यों का विस्तार किया है। आप लोग जिस देश में बसे हैं वहां के समाज में लीडरशिप के रोल में नजर आते हैं। पुर्तगाल, आयरलैंड, मॉरीशस को ऐसे लोगों का नेतृत्व मिला है, जिनकी जड़ें भारत में हैं। मोदी ने कहा कि पहले लोग कहते थे कि भारत बदल नहीं सकता। हमने इस सोच को ही बदल डाला है।
हमने बदलाव करके दिखलाया है। दुनिया आज हमारी बातों को, हमारे सुझावों को सुन भी रही है और मान भी रही है। पर्यावरण के क्षेत्र में भारत की बात दुनिया मान रही है। आज भारत अनेक मामलों में दुनिया की अगुवाई करने की स्थिति में है। आप सभी अपने पूर्वजों की मिट्टी की महक से यहां खिंचे चले आए हैं।
आज भारत दुनिया की तेजी के साथ बढ़ती अर्थव्यवस्था है। हम बड़ी शक्ति बनने की ओर अग्रसर हैं। आज हम दुनिया का सबसे बड़ा हेल्थ स्कीम ”आयुष्मान भारत” चला रहे हैं। भारत का युवा मोबाइल, कार, बस, ट्रक बना रहा है तो वहीं खेत में रिकॉर्ड अन्न उत्पादन भी हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते साढ़े चार वर्षों में पांच लाख अस्सी हजार करोड़ रुपये हमारी सरकार ने अलग-अलग योजनाओं के तहत सीधे लोगों को उनके बैंक खाते में दिए। किसी को पढ़ाई, किसी को अनाज तो किसी को गैस सिलेण्डर के लिए दिए गए। अगर देश पुराने तौर तरीकों से चल रहा होता तो आज भी इतने पैसों में से साढ़े चार हजार करोड़ से ज्यादा यह रकम छूमंतर हो जाती। अगर हम व्यवस्था में बदलाव नहीं लाते तो यह रकम लूट ली जाती।
यह सुधार पहले भी हो सकता था लेकिन नियत नहीं थी, इच्छाशक्ति नहीं थी। हमारी सरकार अब उस रास्ते पर चल रही है कि सरकार द्वारा की जाने वाली मदद सीधे लाभार्थी के खाते में डाली जाए। पहले सात करोड़ ऐसे लोग सरकारी सुविधाओं का लाभ ले रहे थे, जो पैदा ही नहीं हुए। इन सात करोड़ फर्जी लोगों को हटाने का काम भाजपा सरकार ने किया। यह सब इस देश में बड़े पैमाने पर हो रहे बदलाव की एक झांकी है। भारत के प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रवासी तीर्थ दर्शन योजना की शुरुआत की जा रही है। आप जहां भी रहते हैं वहां अपने आसपास के पांच परिवारों को भारत आने के लिए प्रेरित करें। आपका यह प्रयास देश में टूरिज्म बढ़ाने में मदद करेगा। हि.स