रायपुर(media saheb) नवनिर्वाचित सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के समापन सत्र में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सदस्यों को सम्बोधित किया। उन्होने अपने सुदीर्घ राजनैतिक जीवन के अनुभवों को विधायकों को बताया एवं उन्हें सफल एवं प्रभावी विधायक बनने के गुर बताये। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, मान. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष, धरमलाल कौशिक, संसदीय कार्यमंत्री रविन्द्र चौबे, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, अमृता राय, मंत्रीगण, सदस्यगण एवं विधान सभा के सचिव, चन्द्र शेखर गंगराडे़ उपस्थित थे।
दिग्विजय सिंह ने सदस्यों को प्रभावी एवं सफल विधायक बनने के गुर बताते हुए कहा कि-क्षेत्र के मतदाता से जीवित संपर्क, नियम प्रक्रियाओं का पूरा ज्ञान, व्यवहार कुशलता, मृदुभाषिता एवं सदन में संयमित भाषा से ही कोई भी मान. सदस्य प्रभावी विधायक के रूप में अपनी पहचान बना सकता है।
उन्होंने कहा कि- शोर-शराबा करके विधान सभा के अंदर मान. सदस्य अपनी पहचान नहीं बना सकते। उन्होंने कहा कि- मान. सदस्यों को अपनी विचारधारा से समझौता नहीं करना चाहिए। उन्होंने कवासी लखमा का उदाहरण देते हुए कहा कि- मतदाताओं से जीवित जनसंपर्क से अनपढ़ व्यक्ति सफल एवं प्रभावी विधायक बन सकता है। उन्होंने कहा कि- सदस्यों को अपने विधान सभा क्षेत्र में विरोधियों के प्रति भी अच्छा व्यवहार रखना चाहिए। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि विधान सभा का सबसे महत्वपूर्ण कार्य कानून बनाना होता है लेकिन उस समय सभा में विधायकों की उपस्थिति सबसे कम होती है। उन्होंने कहा कि- सदस्यों को अपनी बात सभा में पूरे विश्वास एवं प्रमाणिकता के साथ उठानी चाहिए।
इसके पूर्व अपने उद्बोधन में विधान सभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि- दिग्विजय सिंह एक अत्यंत ही परिपक्व राजनेता हैं एवं हम सब उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। उनका मार्गदर्शन प्राप्त कर ही नवनिर्वाचित सदस्य प्रभावी विधायक के रूप में अपने आप को स्थापित करने में सफल होगें। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ की पंचम विधान सभा में 44 विधायक कृषि क्षेत्र से संबंधित हैं। जबकि 19 सदस्य व्यवसायी, 3 वकील, 6 चिकित्सक एवं अन्य सामाजिक कार्यकर्ता हैं। 1 सदस्य मजदूर थे जो पंचम विधान सभा में निर्वाचित होकर आयें हैं। इस तरह छत्तीसगढ़ की पंचम विधान सभा में एक अद्भुत समन्वय दिखाई देता है।
प्रबोधन कार्यक्रम के अवसर सदस्यों को सम्बोधित करते हुए मान. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि विधान सभा में नियमित उपस्थिति से ही नवनिर्वाचित विधायक विधान सभा की नियम प्रक्रिया एवं संचालन को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सदस्यों को अपनी बातें सदन में न केवल रखनी चाहिए बल्कि उन बातों पर शासन की कार्यवाही भी हो इसका भी प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक प्रभावी विधायक को अपने विधान सभा क्षेत्र के सामाजिक एवं भौगोलिक क्षेत्रफल का पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक है। विधायकों को सभा में सभी विषयों पर प्रश्न पूछना चाहिए लेकिन किसी एक विषय पर उनका विशेष अधिकार होना चाहिए, जिससे वे उस विषय के विशेषज्ञ के रूप में अपनी पहचान बना सके।
कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम के प्रारंभ में विधान सभा सचिव, चन्द्र शेखर गंगराडे ने स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया।


