बलौदाबाजार, (mediasaheb.com) लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली प्रचार सामग्रियों में प्रकाशक और मुद्रक का नाम, तिथि और पते का उल्लेख किया जाना जरूरी है। उन्हें प्रकाशित सामग्री की संख्या का उल्लेख भी इसमें किया जाना होगा। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी कार्तिकेया गोयल ने बुधवार को जिला कार्यालय के सभाकक्ष में मुद्रकों और राजनीतिक दल के पदाधिकारियों की संयुक्त बैठक में यह जानकारी दी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि हाथ से कापी की गई प्रतियां मुद्रण की कैटेगरी में नहीं आएंगी। बैठक में स्थानीय मीडिया के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। उन्हें सामग्रियों के प्रकाशन-प्रसारण से पहले प्री-सर्टिफिकेशन, फेक न्यूज और पेड न्यूज की बारे में विस्तार से बताया गया। बैठक में जिला पंचायत के सीईओ एस जयवर्धन भी शामिल थे। कलेक्टर गोयल ने बैठक में मुद्रकों से कहा कि कोई गुमनाम व्यक्ति अथवा अधूरी जानकारी युक्त प्रचार सामग्री का मुद्रण नहीं किया जाए। छापने के पहले प्रकाशक से घोषणा पत्र भरवाकर लेना होगा और छापने बाद इसकी प्रति जल्द से जल्द जिला निर्वाचन अधिकारी को उपलब्ध कराएं। प्रचार सामग्री में सैन्य बलों अथवा उनके उपकरणों का प्रदर्शन नहीं किया जाए।
उन्होंने कहा कि नियमों के अनुरूप प्रचार सामग्री का प्रकाशन नहीं पाया गया तो छह माह तक कारावास और दो हजार रुपये तक जुर्माना अथवा दोनों तरह की सजा हो सकती है। एमसीएमसी के सदस्य एसएम पाध्ये ने आदर्श आचार संहिता के अनुरूप प्रकाशन सामग्री का चयन किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने मुद्रकों और प्रकाशकों को प्रकाशन के पहले ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्यों से अवगत कराया। उप जिला निर्वाचन अधिकारी सचिन भूतड़ा ने फेक न्यूज और पेड न्यूज की बारीकियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि प्रिन्ट मीडिया में जारी विज्ञापनों के लिए प्री-सर्टिफिकेशन की शुरू में जरूरत नहीं है। लेकिन 48 घण्टे पहले इन्हें जारी होने वाले विज्ञापनों के लिए सर्टिफिकेशन जरूरी होगा। इलेक्ट्रानिक मीडिया में जारी होने वाले कोई भी विज्ञापन बगैर सर्टिफिकेशन के जारी नहीं किया जाएगा। मीडिया प्रतिनिधि को यदि कोई राजनीतिक दल इलेक्ट्रानिक विज्ञापन सामग्री देता है तो उसे एमसीएमसी का सर्टिफिकेशन पत्र की मांग करना चाहिए। (हि स)।