- पहले ड्रॉप में समझ आया कैसे और क्या पढऩा है, दूसरे साल रैंक इंपू्रव किया
- एग्जाम के पहले आ गई थी निराश, टीचर्स की काउंसलिंग से मिली उबरने में मदद
भिलाई(media saheb.com). वैसे तो डॉक्टर बनने की लोग बचपन से प्लानिंग कर लेते हैं। आज हम आपको एक ऐेसे डॉक्टर से मिलाने जा रहे हैं, जिन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वे डॉक्टर बनेंगे। वे हमेशा अपनी पढ़ाई को इंज्वाय करते थे और जब बायो पढऩे में मजा आने लगा तब तय किया कि मेडिकल एंट्रेस की तैयारी करेंगे। दो साल की कड़ी मेहनत और ड्रॉप के बाद साल 2010 में सीजी पीएमटी क्वालिफाई किया। मेकाहारा रायपुर में कैंसर स्पेशलिस्ट के रूप में सेवाएं दे रहे बलौदाबाजार जिले के भटगांव के डॉ. अखिलेश साहू ने कहते हैं कि बिना इंट्रेस के पढ़ाई बोरिंग हो जाती है। इसलिए पढऩे के लिए उसी विषय का चयन करें जिसमें आपकी रूचि हो तभी आप तय किए मुकाम को हासिल कर पाएंगे। हिंदी मीडियम और गांव के स्कूल में पढ़कर कैंसर स्पेशलिस्ट बनने तक के सफर का जिक्र करते हुए डॉ. साहू कहते हैं कि हर किसी के जीवन में रूकावट और निराशा आती है। निराशा के भंवर से जो निकल जाता है वो अपनी तकदीर अपने हाथ से लिखता है। इसलिए उन्होंने सबसे ज्यादा अगर किसी चीज पर भरोसा किया तो वो है कड़ी मेहनत। एग्जाम से ठीक पहले मैं भी निराशा का शिकार हो गया था लेकिन टीचर्स की काउंसलिंग से उस बुरे वक्त से उबर पाया।
नहीं पता था कौन-कौन सी परीक्षाएं होती है डॉक्टर बनने के लिए
डॉ. साहू ने बताया कि उनकी प्रायमरी से लेकर 12 वीं तक की स्कूलिंग गांव के स्कूल में हुई। पहले से तय भी नहीं था कि आगे क्या करना है। इसलिए पूरा फोकस बोर्ड एग्जाम में किया। जब 12 वीं बोर्ड में अच्छे नंबर आए तब सबने कहा कि मेडिकल एंट्रेस की तैयारी करो। उस वक्त मुझे पता भी नहीं था कि डॉक्टर बनने के लिए कौन-कौन सी परीक्षाएं देनी पड़ती है। फिर भी हिम्मत जुटाकर भिलाई के सचदेवा कॉलेज में एडमिशन ले लिया। ये मेरे जीवन का टर्निंग प्वाइंट बना। सचदेवा में आकर ही कैसे और क्या पढऩा है, किस तरह अपने लक्ष्य को हासिल करना है ये सीखा।
हर स्टूडेंट की स्पीड को मैच करता है सचदेवा
सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज भिलाई में पढ़कर सीजी पीएमटी क्वालिफाई करने वाले डॉ. साहू ने बताया कि जब पहली बार वे सचदेवा पहुंचे तो बाकी बच्चों से काफी पीछे थे। शुरूआत में एक साल तो सिर्फ सिलेबस और बेसिक को समझने में निकल गया। मैंने फिजिक्स, कैमेस्ट्री और बायो तीनों ही विषयों की बेसिक से पढ़ाई शुरू की। यहां के टीचर्स की एक क्वालिटी बहुत अच्छी है वे हर स्टूडेंट की स्पीड से मैच करते हुए पढ़ाते हैं। इससे कमजोर स्टूडेंट को भी खुद को तैयार करने का समय मिल जाता है। सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर की मोटिवेशनल क्लास तो अपने आप में बेहद खास है। जब भी मैं निराश होता तो जैन सर के केबिन में जाकर उनसे बात कर लिया करता था। वे हमेशा कहते कि तुम्हारा सलेक्शन जरूर होगा। एग्जाम प्रेशर को भी मोटिवेशनल बातों से हल्का कर देते थे। सचदेवा के टेस्ट सीरिज से तैयारी में काफी मदद मिली।
रोज का सिलेबस रोज पढ़ें
नीट की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स से कहना चाहूंगा कि आप रोज का सिलेबस रोज ही पूरा करे। उसे कल पर डालकर अपना बोझ न बढ़ाएं। रिजल्ट के बारे में न सोचे बल्कि अपनी पढ़ाई पर फोकस रहें। जब आप पढ़ते-पढ़ते बोर हो जाए तो कुछ समय का ब्रेक लें। बे्रक के बाद आपकी स्पीड दोगुनी हो जाएगी। एग्जाम हॉल के प्रेशर को मैनेज करने के लिए पुराने प्रश्न पत्र जरूर साल्व करें। साथ ही टाइम मैनेजमेंट का भी ध्यान रखें। For English News : the states.news