छोटे भाई बहनों के लिए कड़ी मेहनत से रोल मॉडल बनने वाली ये है प्रीति भारद्वाज
भिलाई(mediasaheb.com). बस्तर के जगदलपुर की प्रीति भारद्वाज ने नीट क्वालिफाई किया है। कोरोना काल में अचानक हुए लॉकडाउन के बाद भी ऑनलाइन और सेल्फ स्टडी करके प्रीति ने यह सफलता अर्जित की है। जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेकर डॉक्टर बनने के सपने को साकार करने वाली प्रीति ने बताया कि एक बार उसने किसी दीवार पर लिखा हुआ पढ़ा था कि जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का फिर देखना फिजूल है कद आसमान का। पता नहीं वो बात मन में घर करके बैठ गई। 12 वीं के बाद किसी कारण से नीट के एग्जाम में बैठ नहीं पाई थी। इसलिए एक साल ड्रॉप लेकर तैयारी की। बावजूद असफल हो गई।
ऐसे में दूसरे साल ड्रॉप के लिए इन्हीं लाइनों ने सबसे ज्यादा मोटिवेट किया। पहली फेल्यिर के बाद मम्मी ने कई बार कहा कि पीएससी कर लो, मेरी जिद डॉक्टर बनने की थी। इसलिए खुद को नीट पर ही फोकस किया। दादा जी बचपन से मुझे डॉक्टर बनाना चाहते थे। वो कहते थे कि मेरी बेटी बड़ी होकर डॉक्टर ही बनेगी। आज वो तो नहीं रहे लेकिन उनका सपना जरूर पूरा हो रहा। मेरे छोटे भाई बहनों को भी इस सफलता से आगे बढऩ़े की प्रेरणा मिलेगी।
दूसरे साल महसूस करने लगी ज्यादा प्रेशर
प्रीति ने बताया कि जब उसने पहले साल ड्राप लिया तो नीट का सिलेबस और बेसिक समझने में ही पूरा समय निकल गया। पहले साल की तैयारी में खुद को फोकस नहीं कर पाई। पढ़ते-पढ़ते ध्यान भटक जाता था। जब रिजल्ट आया तो फेल्यिर देखकर काफी मायूस भी हो गई थी। कुछ दिनों बाद इस मायूसी को जीवन से हटाकर दोबारा उन गलतियों को नहीं दोहराने की सीख ली। पॉजिटिव सोच के साथ फिर से पढ़ाई शुरू कर दी। लॉकडाउन में घर में भी पैरेंट्स ने काफी सपोर्ट किया। घर में रोजना आठ से दस घंटे की स्टडी करती थी। जिससे ज्यादा से ज्यादा रिविजन करने का मौका मिल गया। यही मेरी सक्सेस के लिए प्लस प्वाइंट बना।
किसी भी परीक्षा में सफल होने के लिए बेसिक का क्लीयर होना बहुत जरूरी होता है। प्रीति ने बताया उसने अपने फ्रैंड्स की सलाह पर सचदेवा कोचिंग ज्वाइन किया। यहां के टीचर्स भी पढ़ाई के मामले में खरे उतरे। अलग-अलग तरह की स्टडी मटेरियल और पुराने प्रश्न पत्रों को साल्व कराकर बेसिक क्लीयर करा दिया। इसका लाभ दूसरे साल की तैयारी में भी मिला। फिजिक्स के साथ कैमेस्ट्री और बायो पर भी टीचर्स पूरा फोकस करते थे। ताकि कोई भी सब्जेक्ट वीक न रह जाए। एग्जाम के दौरान कैसे टाइम मैनेजमेंट करना है ये भी टीचर्स रोजाना बच्चों को बताते हैं।
जैन सर के पत्थर की कहानी से हुई काफी मोटिवेट
सचदेवा कोचिंग के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर अक्सर नीट की तैयारी करने वाले बच्चों की काउंसलिंग करते हैं। एक दिन उन्होंने क्लास में मंदिर में लगे पत्थरों की कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि कैसे दर्द सहकर और कारीगरों द्वारा तराशकर एक मामूली पत्थर भगवान की मूर्ति बन गया। जिन पत्थरों ने दर्द सहने से इनकार किया वो आज मंदिर की सीढिय़ों और रास्ते पर लगे हुए हैं। उनकी की ये छोटी सी प्रेरक कहानी से काफी मोटिवेशन मिला। बिना संघर्ष के कोई मुकाम नहीं मिलता। यही सोचकर मैं सिर्फ पढ़ती चली गई। आज वो दो साल की कड़ी मेहनत का परिणाम मिला है। जो काफी सुखद है। जो बच्चे इस साल नीट की तैयारी कर रहे हैं उनसे कहूंगी कि हमेशा खुद के साथ ईमानदार रहे। जब आप ईमानदारी से पढ़ाई करेंगे तो कोई रूकावट आपकी सफलता नहीं रोक सकती। (the states. news)