कोलकाता, (mediasaheb.com) पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल और सामूहिक इस्तीफे के चलते स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। हालात ये हैं कि शुक्रवार अपराह्न दो बजे तक उत्तर और दक्षिण बंगाल के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और सरकारी अस्पतालों के 170 चिकित्सकों ने इस्तीफा दे दिया है। त्यागपत्र देने वालों में कई मेडिकल कॉलेजों के विभागाध्यक्ष भी शामिल हैं। कोलकाता के इकलौते सुपर स्पेशलिटी अस्पताल एसएसकेएम के 110 चिकित्सकों ने शुक्रवार दोपहर इस्तीफा दिया है। इस्तीफा देने वाले चिकित्सकों की संख्या शाम तक और बढ़ सकती है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार दोपहर इसी अस्पताल का दौरा करने के बाद चिकित्सकों को काम पर नहीं लौटने पर ठोस कार्रवाई की चेतावनी दी थी। चिकित्सकों ने साफ कर दिया है कि मुख्यमंत्री जब तक माफी नहीं मांगेंगी तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
इसके अगले दिन शुक्रवार को अस्पताल के विभागाध्यक्ष प्रो. सुभंकर चौधरी ने इस्तीफा देने की शुरुआत की। उनके बाद एंडोक्राइन डिपार्टमेंट के प्रो. शांतिनाथ मुखर्जी, डॉ. सुजय घोष, डॉ. प्रदीप मुखर्जी, डॉ. राणा भट्टाचार्य, प्रो. अभिजीत चौधरी समेत 110 चिकित्सकों ने अपना इस्तीफा राज्य स्वास्थ्य विभाग को सौंप दिया है। साथ ही अस्पताल के चिकित्सकों ने नीलरतन सरकार (एनआरएस) अस्पताल के आंदोलनरत डॉक्टरों के समर्थन की घोषणा भी की है।
इसी प्रकार आरजीकर मेडिकल कॉलेज के 16, कोलकाता नेशनल मेडिकल कॉलेज के 16, सागर दत्त मेडिकल कॉलेज के 08 और उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के भी 08 चिकित्सकों ने इस्तीफा दिया है। एनआरएस अस्पताल के अधीक्षक और प्रिंसिपल ने गुरुवार रात को ही इस्तीफा दे दिया था।
सिलीगुड़ी स्थित उत्तरबंग मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के मनोरोग विभाग के अध्यक्ष निर्मल बेरा ने भी इस्तीफा दिया है। इसके बाद अस्पताल के पांच अन्य चिकित्सकों ने राज्य स्वास्थ्य विभाग के नाम इस्तीफा भेज दिया है। इसके पूर्व दो अन्य चिकित्सकों ने भी शुक्रवार सुबह इस्तीफा दे दिया था। कुल मिलाकर उत्तरबंग मेडिकल कॉलेज के आठ चिकित्सकों ने इस्तीफा दिया है। इन चिकित्सकों ने इस्तीफे की वजह राज्य सरकार का असहयोगी बर्ताव बताया है।
इसी क्रम में बर्दवान मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक ने भी इस्तीफा दे दिया है। सिउड़ी अस्पताल के अधीक्षक शोभन दे ने कहा कि उनके अस्पताल में चिकित्सकों ने इस्तीफा देने को कहा है।
दर-दर भटक रहे रोगियों के परिजन
जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे रोगियों को लेकर परिजन चिलचिलाती धूप में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भागने के लिए मजबूर हैं। जिनके पास पैसे हैं वह गैर सरकारी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं, लेकिन गरीब लोगों की हालत दयनीय है। गरीब परिजन सरकारी अस्पताल के गेट के बाहर इस उम्मीद में दिन काट रहे हैं कि कहीं चिकित्सकों को दया आ जाए और उनके मरीज को इलाज मिलने लगे। यह स्थिति पिछले पांच दिनों से बरकरार है।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार दोपहर एसएसकेएम अस्पताल पहुंचीं मुख्यमंत्री ने आंदोलनरत चिकित्सकों को बाहरी बताया था। साथ ही उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई की चेतावनी दी थी। मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद राज्यभर में चिकित्सकों में जबर्दस्त नाराजगी है। आंदोलनरत चिकित्सकों ने साफ कर दिया है कि जब तक ममता बनर्जी माफी नहीं मांगेंगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा।(हि.स.)।