दंतेवाड़ा, (mediasaheb.com) मां दंतेश्वरी पलाश (टेशू) के रंगों से तैयार रंग से होली खेलेगी। इसके लिए बोरियों में टेशू के फूल एकत्र कर शक्तिपीठ लाया जा रहा है। इन फूलों को उबालकर रंग तैयार किया जाएगा। चिकित्सकों द्वारा लगातार रासायनिक रंगों का उपयोग न करने की सलाह लोगों को दी जा रही है, बावजूद इसके बाजार से रासायनिक प्रक्रिया से तैयार रंग और गुलाल खरीदकर लोग होली खेल अपनी त्वचा खराब करते हैं, लेकिन बस्तर का आदिम समाज आज भी परंपरागत रंगों का उपयोग कर माईंजी के साथ होली खेलता है।
बुधवार रात होलिका दहन किया जाएगा, वहीं गुरूवार को रंग-भंग के साथ होलिकोत्सव मनाया जाएगा। टेशू के फूलों को उबालकर रंग बनाने की प्रक्रिया वर्षों पुरानी है। इस रंग को पवित्र माना जाता है। दंतेवाड़ा में आयोजित फागुन मड़ई के बाद होली के दिन इस रंग का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है। बुधवार की सुबह सेवादारों द्वारा तैयार रंग और सूखे टेशू फूलों से तैयार गुलाल मां दंतेश्वरी को अर्पित किया जाएगा। यही रंग और गुलाल विभिन्न गांवों से आए देवी-देवताओं पर छिडक़ा जाएगा। प्रधान पुजारी हरिहर नाथ के मुताबिक टेशू फूलों से रंग-गुलाल बनाने की पंरपरा आठ सौ वर्षों से यहां जीवित है और इतने ही वर्षों से इनका अर्पण होलिका उत्सव में माईं जी को किया जाता है। (हि.स.)।