वनाधिकारों की हो स्थापना
रायपुर, (media saheb .com) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने राज्य की नवगठित सरकार की आपत्ति के बावजूद सरगुजा स्थित परसा कोल ब्लाक को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अडानी को देने की तीखी निंदा की है और इस फैसले को आदिवासियों के वनाधिकार और पर्यावरण व जैव-विविधता के संरक्षण के खिलाफ बताया है.
जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिवमंडल ने कहा है कि इस क्षेत्र में दसियों गांव आते हैं, जहां से आदिवासियों को विस्थापित होना पड़ेगा. लेकिन खनन के लिए यह विस्थापन वनाधिकारों की स्थापना किए बगैर और पेसा एक्ट के तहत ग्राम सभाओं की सहमति के बिना किया जा रहा है, जो सरासर गैर-कानूनी है. राज्य सरकार की आपत्ति को भी दरकिनार करने से यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार को संविधान में निहित संघीय ढांचे की भी परवाह नहीं है. इसलिए इसे राज्य में केंद्र के अनाधिकृत दखल के रूप में ही देखा जाना चाहिए|
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि जिस तरह की हड़बड़ी में इस कोल ब्लाक को अडानी को परोसा जा रहा है, उससे साफ़ है कि जाते-जाते भी मोदी सरकार प्राकृतिक संसाधनों की लूट की अपनी मुहिम में कोई कसार नहीं छोड़ना चाहती. यह वही अडानी है, जो संप्रग सरकार के समय हजारों करोड़ के कोलगेट घोटाले में शामिल था और आज इसी अडानी को मोदी सरकार राजनैतिक संरक्षण दे रही है|
माकपा ने ‘नो-गो एरिया’ में खनन की अनुमति देने के लिए राज्य के तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) की भूमिका की जांच करने, अडानी को रोकने के लिए पुनः पहलकदमी करने और इस क्षेत्र में रह रहे आदिवासियों के वनाधिकारों को स्थापित करने की भी मांग की है.


