रायपुर (mediasaheb.com) प्रदेश में नए शिक्षा सत्र 2019 -20 का का आगमन हो चुका है और हमेशा की तरह निजी स्कूलों ने अपनी फीस बढ़ा दी है। इस साल फीस की वृद्धि 15 से 25 फ़ीसदी तक है । वहीं जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में निर्णय लेने का अधिकार राज्य सरकार पर थोप रहे हैं। सरकारी नियंत्रण से एकदम बाहर हो चुके निजी स्कूलों ने अपनी कमाई बढ़ाने के लिए एक बार फिर से अभिभावकों की जेब पर डाका डालने का तय कर लिया है। सीबीएसई वाले अधिकांश निजी स्कूलों में इस बार भी मनमाने तरीके से फीस बढ़ाई है। शिक्षा सूत्रों ने बताया है कि इस वर्ष निजी छोटे बड़े स्कूलों ने अपनी फीस 3 हजार से लेकर 12 हजार रुपये तक बढ़ा दी है।
जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष कक्षा 1 की वार्षिक फीस 38 हजार से ज्यादा थी। जबकि कक्षा आठवीं के लिए 46 हजार से अधिक की राशि ली जा रही थी। जबकि कक्षा आठवीं की फीस निजी स्कूलों में 53हजार से अधिक के आसपास थी। इसमें साल 15 से 25 फीसदी तक फीस बढ़ा दी गई है। अर्थात फीस में 3हजार से लेकर 12 हजार रुपये तक बढ़ोतरी की गई है। इस मामले में लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक एस. प्रकाश का कहना है कि इस संबंध में निर्णय राज्य शासन को लेना है और कोई भी स्कूल इस तरह की मनमानी नहीं कर सकता।जबकि छत्तीसगढ़ पालक संघ के कृष्णपाल का कहना है कि स्कूल प्रशासन पर कोई नियंत्रण नहीं है। इनके संचालकों की मनमानी के खिलाफ कहीं कोई सुनवाई ही नहीं है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में फीस नियामक आयोग गठन का वायदा किया था। परंतु अब तक इस संबंध में कोई भी निर्णय नहीं लिया जा सका है।(हि.स.)।