रायपुर, (media saheb) छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह की सरकार के दौर में हुए नान घोटाले का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है। अब प्रदेश में कांग्रेस की नई सरकार बनने के बाद एसआरपी कल्लूरी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन कर नए सिरे से जांच शुरू कर की गई है। उसी कड़ी में डीजी मुकेश गुप्ता और नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह को राज्य सरकार ने आज निलम्बित कर दिया है। यह निलम्बन उनके विरुद्ध अपराधिक मामला दर्ज किए जाने के बाद किया गया है। जांच के लिए गठित एसआईटी ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इनके निलम्बन पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि जो कानून के खिलाफ जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
36 हजार करोड़ का घोटाला पूर्ववर्ती डा. रमन सिंह सरकार में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में 36 हजार करोड़ रुपये का कथित घोटाला सामने आया था। यह मामला 2015 में सामने आया था जब छत्तीसगढ़ के ”एंटी करप्शन ब्यूरो” और ”आर्थिक अपराध शाखा” ने नागरिक आपूर्ति निगम के कुछ बड़े अधिकारियों और कर्मचारियों के विभिन्न ठिकानों पर छापे मारे थे। इस छापेमारी में करोड़ों रुपये, डायरी, कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और हार्ड डिस्क जब्त की गई थी। उल्लेखनीय है कि 2015 में नान घोटाले के खुलासे के बाद से ही कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे। इस मामले में दो आईएएस अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला को भी इसमें आरोपित बनाया गया है। इनके खिलाफ चालान पेश किया गया। 17 अन्य लोगों को भी आरोपित बनाया गया है। इनमें से कुछ जमानत पर हैं तो कुछ अभी भी जेल में हैं। इस मामले में नागरिक आपूर्ति निगम के कई अधिकारियों और कर्मचारियों को जेल भेज दिया गया था। इन पर आरोप है कि छत्तीसगढ़ में सरकार की ओर से चावल मिलों से लाखों क्विंटल घटिया चावल खरीदा गया और इसके लिए नेताओं और अधिकारियों को करोड़ों रुपये की रिश्वत दी गई थी। राशन वितरण के परिवहन में भी बड़ा घोटाला हुआ था। कुल 27 लोगों के खिलाफ मामले में केस दर्ज हुआ था, लेकिन बाद में जांच बंद हो गई।
मुकेश गुप्ता और रजनेश पर जांच की दिशा बदलने का केस दर्ज बहुचर्चित नान घोटाले में कई प्रभावशाली नेताओं और अधिकारियों के नाम भी सामने आये थे। मामले की जांच का जिम्मा चूंकि मुकेश गुप्ता पर ही था, लिहाजा आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर जांच की दिशा बदली। कई बड़े चेहरों को बचाने का काम किया। उस दौरान रजनेश सिंह ईओडब्ल्यू में एसपी के रूप में काम देख रहे थे। ईओडब्ल्यू ने डीजी मुकेश गुप्ता एवं एस.पी. रजनेश सिंह के खिलाफ धारा 166, 166 ए,(बी) 167, 193, 194, 196, 201, 218, 466, 467, 471, 120बी तथा भारतीय टेलीग्राफ़ एक्ट 25, 26 सहपठित धारा 5 (2) के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया है। भूपेश सरकार ने एसआईटी गठित कर दिया जांच का आदेश नान घोटाले की अब नये सिरे से जांच शुरू हो गई है।
राज्य सरकार ने नान घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया है। आईजी कल्लूरी के नेतृत्व में यह एसआईटी काम कर रही है। भूपेश कैबिनेट की बैठक में नान घोटाले के उस अनछुए पन्नों के नए सिरे से जांच के आदेश दिए गए है। नान घोटाले के 107 पन्नों में कई महत्वपूर्ण लोगों के नाम सांकेतिक तौर पर लिखे गये हैं, राज्य सरकार की तरफ से उन सभी नामों को लेकर लिखी गई बातों की जांच होगी। दरअसल घोटाले को लेकर जब्त हुई डायरी में से सिर्फ छह पेज की ही जांच कराई गई थी, जबकि 107 पन्नों का रहस्य अभी भी बरकरार है। जांच के बाद उस रहस्य से भी पर्दा उठेगा। कांग्रेस की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डीजीपी डीएम अवस्थी के साथ बात कर पूरे मामले का अवलोकन किया। लिहाजा जांच की गुंजाइश बनते देख कैबिनेट में इस बात का फैसला किया गया है कि नान घोटाले की विशेष जांच कराई जाएगी। एसआरपी कल्लूरी को बनाया गया टीम का मुखिया नान घोटाले को लेकर राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन किया, जिसमें एक एसपी, दो एएसपी और दो डीएसपी सहित टीम में कुल 12 सदस्य है। एसआईटी के मुखिया एसीबी-ईओडब्ल्यू के आईजी एसआरपी कल्लूरी को बनाया गया। वहीं नारायणपुर के एसपी आई कल्याण एलेसेला, एएसपी ईओडब्ल्यू मनोज खिलाड़ी, जशपुर की एएसपी उनेजा खातून अंसारी, ईओडब्ल्यू के डीएसपी विश्वास चंद्राकर एवं डीएसपी अनिल बख्शी को टीम में शामिल किया गया है। टीआई स्तर के अधिकारियों में सीआईडी के निरीक्षक एलएस कश्यप, एसीबी के निरीक्षक बृजेश तिवारी, निरीक्षक रामाकांत साहू, कांकेर के निरीक्षक मोतीलाल पटेल, ईओडब्ल्यू के निरीक्षक फरहान कुरैशी को टीम में शामिल किया गया है। वहीं विधि विशेषज्ञ के रूप में एनएन चतुर्वेदी को भी टीम में शामिल किया गया है। यह टीम तीन महीने में अपनी जांच पूरी करेगी। फरार आरोपित के आवेदन पर गठित करवा दी एसआईटी: डॉ. रमन सिंह पिछले विधानसभा सत्र में नान घोटाले को लेकर एसआईटी जांच पर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने सवाल उठाए थे। सदन में पूर्व मुख्यमंत्री ने जांच के फैसले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जमकर घेरा। रमन सिंह ने कांग्रेस की सरकार को बदलापुर की सरकार बताया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने फैसले के लिए सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आरोपित के कहने पर राज्य सरकार ने एसआईटी जांच कराने का फैसला लिया और उसे कैबिनेट में पास कराया गया, ये बेहद ही हास्यास्पद है।
रमन सिंह ने कहा कि नान प्रकरण का जो मुख्य आरोपित है, जो फरार है, जिसका बेल भी कोर्ट ने नामंजूर कर दिया है, वो जाकर एक आवेदन देता है और कैबिनेट में यह निर्णय होता है। यह हिंदुस्तान के इतिहास में शायद पहला ऐसा वाकया होगा, जो अभियुक्त, जो फरार है, जिसे बेल नहीं मिली कोर्ट में, जिसके ऊपर आरोप लगे हैं, जिसकी जांच चल रही है, उसके आवेदन के आधार पर जांच के आदेश दिए गए हैं। उसका आवदेन लेकर राज्य सरकार निश्चित रूप से उसको एसआईटी से जांच कराकर जाने किसको बचाना चाहती है, जांच को किस दिशा में ले जाना चाहती है, यह समझ से परे हैं। यह नई सरकार की नई वर्क कल्चर और बदलापुर सरकार का नया कारनामा देश की जनता के सामने आया है।
जो कानून के खिलाफ जाएगा उसपर कार्रवाई होगी : सीएम भूपेश बघेल मुकेश गुप्ता और रजनेश के खिलाफ कार्रवाई पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि जो कानून के खिलाफ जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी, हुई है, आगे और बड़ी कार्रवाई होगी। डीजी मुकेश गुप्ता और एसपी रजनेश सिंह के खिलाफ एफआईआर और निलम्बन की कार्रवाई के बाद प्रदेश सरकार के मुखिया सीएम भूपेश बघेल ने दो टूक कहा कि जो कूट रचना कर रहे हैं, सबूत से छेड़छाड़ करे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई हुई है और होगी। उन्होंने कहा कि जो कानून के खिलाफ जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। निजता का उल्लंघन किया जा रहा था, फोन टैपिंग का संगीन आरोप है, जिसके चलते यह कार्रवाई हुई है।(हि.स.)।