इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित
रायपुर(media saheb) इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा विकसित धान की तीन नवीन किस्मों को केन्द्रीय वैरायटी रिलीज समिति द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के लिए जारी किया गया है जिनमें ट्राम्बे छत्तीसगढ़ दुबराज म्युटेन्ट-1, छत्तीसगढ़ देवभोग, छत्तीसगढ़ जिंक राइस-2 शामिल हैं। भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद में विगत दिनों संपन्न केन्द्रीय वैरायटी रिलीज समिति की बैठक में छत्तीसगढ़ के लिए इन किस्मों की उपयुक्तता, अधिक उत्पादन क्षमता, गुणवत्ता, पोषक मूल्य, कीटों एवं रोगों के प्रति सहनशीलता, मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उत्पादन का सामथ्र्य, औषधीय तथा अन्य विशेष गुणों आदि को ध्यान में रखते हुए इन तीन नवीन किस्मों को छत्तीसगढ़ राज्य के लिए अधिसूचित किया गया। इन किस्मों को पूर्व में छत्तीसगढ़ शासन की राज्य बीज उपसमिति द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के लिए अनुशंसित किया जा चुका है।
ये है नवीन किस्मों के गुण तथा विशेषताएं
1.ट्राम्बे छत्तीसगढ़ दुबराज म्युटेन्ट-1:- यह किस्म छत्तीसगढ़ में प्रथम किस्म है जो गामा विकिरण जनित म्यूटेशन (उत्परिवर्तन) विधि द्वारा भाभा एटामिक रिसर्च सेन्टर, मुम्बई के सहयोग से तैयार की गयी है। यह सुगन्धित मध्यम बौनी प्रजाति है जिसकी गुणवत्ता स्थानीय दुबराज के समान ही है। दुबराज किस्म की लोकप्रियता को देखते हुए इस किस्म को विकसित किया गया है। इस किस्म की ऊँचाई 90 से 95 से.मी. है। यह किस्म स्थानीय दुबराज प्रजाति से विकसित की गयी है जिसकी ऊॅचाई 140 से 150 से.मी. होती है, जिससे लाजिंग (Lodging) होकर उत्पादकता एवं गुणवत्ता प्रभावित होती है। इसकी उर्वरक उपयोग क्षमता भी अच्छी है, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर इस प्रजाति की उपज क्षमता 47 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पायी गयी है। इसमें कम उर्वरक देने पर भी अच्छी उपज प्राप्त होती है। इस किस्म को सिंचित अवस्था के लिए अनुशंसित किया गया है।
2.छत्तीसगढ़ देवभोग:- इस किस्म का विकास चयन प्रक्रिया द्वारा किया गया है जिसमें स्वर्णा एवं जीरासंकर किस्मों को जनक के रूप में संकरण द्वारा संततियों से प्राप्त चयनित उत्तम प्रकार की किस्म हैं। इसकी उपज क्षमता 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर एवं अवधि 135 से 140 दिन हैं। इस किस्म की चावल प्राप्त क्षमता 67.6 प्रतिशत हैं। इसे छत्तीसगढ़ में सिंचित अवस्था के लिए अनुशंसित किया गया है।
3.छत्तीसगढ़ जिंक राइस-2:- यह किस्म बायोफोर्टिफाइड तकनीकी से विकसित किस्म हैं। यह सामान्य से अधिक जिंक की मात्रा (≥ 22-24 पी.पी.एम.) वाली प्रीमियम गुणवत्ता वाली प्रजाति है। यह छोटे दाने वाली किस्म है जो खाने में बहुत अधिक स्वादिष्ट है। राष्ट्रीय स्तर पर यह किस्म अन्य न्युट्री रिच किस्मों की अपेक्षा अधिक उपज 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर देने वाली पायी गयी है। इस किस्म में राइस ब्रान आयल की मात्रा सामान्य किस्मों से अधिक पायी गयी है। यह छोटे पतले दोने वाली जिंक युक्त किस्म है। जिंक की अधिक मात्रा होने के कारण यह किस्म अधिक पौष्टिक है और छोटे बच्चों में जिंक की कमी से होने वाले डायरिया की रोक-थाम में मद्दगार है। यह किस्म IR-68144-B-18-2-1-1 एवं PKV HMT के संकरण के पश्चात वंशावली विधि अपनाकर विकसित की गई है।