नईदिल्ली(media saheb) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को यहां ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम के माध्यम से विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ लोग देश में निराशा का माहौल बनाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि निराशा की गर्त में डूबा आदमी कभी किसी का विकास नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि सवा सौ करोड़ लोगों की उम्मीद उनके साथ हैं। उन्होंने छात्रों और शिक्षकों को अपेक्षाओं के बोझ से नहीं दबने की सलाह दी। लगातार 17 घंटे प्रतिदिन काम करने संबंधी एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि जब अपनेपन और परिवार का भाव जागृत हो जाता है तो थकान महसूस नहीं होती। उन्होंने कहा कि सवा सौ करोड़ देशवासी उनका परिवार हैं।
प्रधानमंत्री ने परीक्षा में विफल होने पर आत्मघाती कदम या तनाव ने में घिर जाने वाले छात्रों को बताया कि जीवन में परीक्षा का महत्व है लेकिन यह जिंदगी की परीक्षा नहीं है। छात्रों को यह मानना चाहिए यह केवल उनकी किसी 10वीं या 12वीं कक्षा मात्र की परीक्षा है। समाज में बोर्ड परीक्षाओं के प्रति अभी नहीं तो कभी नहीं के भाव को गलत बताते हुए कहा कि परीक्षा के गलियारे के बाहर भी जिंदगी है। उन्होंने कहा कि कुछ खिलौनों के टूटने से बचपन नहीं मरा करता लेकिन जीवन में हर पल का साथी होना जरूरी है, नहीं तो जिंदगी में ठहराव आ जाएगा। माता-पिता द्वारा बच्चों पर अपनी अपेक्षाएं थोपने संबंधी एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे अभिभावक विफल हैं, जो अपनी अधूरी चीजों को बच्चों से करवाना चाहते हैं। उन्होंने मां-बाप को सलाह दी कि वह जीवन भर बच्चे को अभिभावक की ही नजर से देखें।
वह बच्चे के बड़े होने पर उसका हाथ ना छोड़ें। जीवन में लक्ष्य तय करने के संबंध में पूछे गए एक छात्र के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि लक्ष्य ऐसा होना चाहिए, जो पहुंच में हो लेकिन पकड़ में ना हो। इससे पहले प्रधानमंत्री ने प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। वहां प्रधानमंत्री और उनकी मां के साथ लगे चित्र ने सभी को आकर्षित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभिभावकों को शिक्षकों के साथ बराबर संवाद बनाए रखने की भी सलाह दी।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों से आत्मीय संबंध बनने पर वह बच्चों के प्रति अधिक ध्यान देंगे। इसके लिए उन्होंने शिक्षक को बच्चे के जन्मदिन पर अपने घर आमंत्रित करने अथवा शिक्षक के जन्मदिन आदि पर स्वयं स्कूल जाने की सलाह दी। घर से बाहर रहकर हॉस्टल आदि में पढ़ाई करने वाले छात्रों को उन्होंने तनाव से बचने के लिए एक आत्मीय दोस्त बनाने की सलाह देते हुए कहा कि ऐसा होने पर वह अपनी जीवन की निजी बातें उससे साझा कर सकेगा। उन्होंने कहा कि एक सच्चा दोस्त तनावपूर्ण जिंदगी को बड़ी आसानी से हल्का-फुल्का कर देता है। इस दौरान केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि देश में अब नया नारा लग रहा है ‘हाउ इज जोश’।
इसके बाद सभागार वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारों से गूंज उठा। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत में 16 फरवरी, 2018 को आयोजित पहले ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम और मंत्रालय की शिक्षा क्षेत्र में पहल का जिक्र किया। सांस्कृतिक प्रस्तुति में दिव्यांग छात्रा ने वाद्ययंत्र बजाया तो अभिभावकों को भी तनाव मुक्ति का मंत्र दिया। ( हि.स.)