धर्मशाला(mediasaheb. com) हिमाचल प्रदेश स्थित धर्मशाला में अपने लाखों अनुयाइयों के साथ निर्वासित जीवन जी रहे तिब्बत के 14वें धर्म गुरू दलाई लामा ने यह इच्छा टाइम पत्रिका के ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय अंक में एक साक्षात्कार के दौरान अभिव्यक्त की है। उन्होंने तिब्बत की ताज़ा स्थिति, चीन का तिब्बत में निवेश, पंचेन लामा, युवा वर्ग और अन्य अन्तर्राष्ट्रीय विषयों पर अपनी राय व्यक्त की है। दलाई लामा ने पिछले ढाई-तीन साल में किसी बड़े राजनेता से मुलाक़ात नहीं की है, हालाँकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाक़ात करने से पहले वह पूर्व राष्ट्रपतियों एच डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा से मिल चुके है। दलाई लामा ने कहा कि तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरु ने एक बार कहा था कि तिब्बत की आज़ादी के लिए अमेरिका चीन से युद्ध नहीं करेगा।
इसके लिए तुम्हें ख़ुद आगे बढ़ कर चीन से बात करनी होगी। भारत आगमन (1959) के बाद निर्वासित जीवन जी रहे लाखों तिब्बतियों को हमेशा यह लगता रहा कि उन्हें एक दिन मादरे वतन लौटना है, इसलिए उन्होंने कभी अपने पक्के घर नहीं बनाए। चीन से बातचीत करते चार दशक बीत गए हैं। स्वायतता की बातें तो ख़त्म हो चुकी हैं, तिब्बत की भाषा और संस्कृति को नष्ट किया जा रहा है, एक व्यापारी ताशी वांगचुक ने तिब्बती भाषा के प्रोत्साहन के लिए क़दम बढ़ाया, तो उसे पाँच साल के लिए जेल में ठूँस दिया गया। गत दिसंबर में सभी मठों से तिब्बती भाषा और संस्कृति पर ज़बरन रोक लगा दी गई, अब वहाँ जगमगाती रोशनी और कंकरीट की ऊँची -ऊँची इमारतों का जाल बिछा है। चीन ने अगली योजना में 97अरब डालर व्यय किए जाने का प्रावधान किया है।
उन्हें लगता है कि युवाओं को बेहतर ज़िंदगी जीने के लिए अपने वतन लौट जाना चाहिए । अमेरिका आधिकारिक तौर पर तिब्बत को चीन का एक हिस्सा मानता है, हालाँकि अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने गत वर्ष जुलाई में कहा था तिब्बत कि निरीह जनता को ताक़त के बल पर दबाया जा रहा है। पिछले आठ-नौ सालों में 150 बौद्ध साधुओं ने आत्मदाह किया है। इसके लिए दलाई लामा की इसलिए आलोचना हो रही है कि वह आत्मदाह कृत्य की भर्त्सना नहीं करते। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हुए दलाई लामा ने मध्य एशिया में शिया और सुन्नी के बीच आपसी टकराव पर चिंता जताई है, तो म्यांमार में आक्रामक बौद्ध समुदाय की रोहिंग्या समुदाय पर अमानवीय कृत्यों और नर संहार की निंदा की । उन्होंने आग्रह किया है कि शांति और सह अस्तित्व की भावना ही सर्वोपरी है। उनका कहना है कि पश्चमी सभ्यता भौतिक जीवन शैली की ओर प्रेरित करती है, पर यह तनाव, चिंताएँ और ईर्ष्या भी जगाती है।
इसके लिए उन्होंने बच्चों में अंतरंग संवेदनाओं को जगाने तथा उनमें तोड़-फोड़ की भावनाओं की जगह संरचनात्मक भावनाएँ जगाई जानी चाहिये। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ‘अमेरिका प्रथम’ विदेश नीति और मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाए जाने के लिए हठधर्मिता पर दलाई लामा ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि मेक्सिको एक बेहतर पड़ौसी है और ठीक उसी तरह यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन का अलविदा लेना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि सन 1995में पंचेन लामा के रूप में नियुक्ति ज़रूर की गई है, पर अब वह कहाँ है, आज तक नहीं मालूम।उन्होंने आशंका व्यक्त की कि उनके न रहने पर चीन 15वें धर्म गुरू की नियुक्ति कर लेगा और उसके बाद सब कुछ ख़त्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह ग़लत होगा। (हि.स.)।