जगदलपुर, (mediasaheb.com) बस्तर अंचल में पिछले दो सप्ताह से मौसम में जो बदलाव आया है, उससे हवा-आंधी, के साथ वर्षा भी हो रही है। इस बेमौसमी वर्षा के असर से गत माह ही पानी – विहीन होकर दम तोड़ चुके कांगेर घाटी के मनोरम तीरथगढ़ जलप्रपात में अभी थोड़ा सा पानी गिरता हुआ दिखाई पड़ रहा है, जो यह बता रहा है कि उसका अस्तित्व कायम है। जानकारी के अनुसार इस बेमौसम वर्षा ने मुनगाबहार नाले में जल का भराव थोड़ा सा किया है, जिसके फलस्वरूप इस नाले के पानी से बनने वाला तीरथगढ़ जलप्रपात को जीवन प्राप्त हुआ है। उल्लेखनीय है कि कांगेर घाटी क्षेत्र में यह मुनगाबहार नाला करीब 35 किमी लम्बाई वाले क्षेत्र में अपने जल से न केवल आसपास रहने वाले ग्रामीणों की पानी की आवश्यकता पूर्ण करता है, वरन नाले के दोनों किनारों में स्थित जंगलों में रहने वाले वन्य प्राणियों के लिए प्यास बुझाने का भी कार्य करता है। इस मौसम के बदलाव से इसमें भी पानी आ गया है और इस पानी में कोटमसर व नागलसर सहित कई ग्रामों के धुरवा आदिवासी ग्रामीणों के लिए जीवन देने का कार्य किया है।
इस संबंध में डिलमिली गांव के तरफ से बहकर आने वाले इस मुनगाबहार नाले पर स्थित तीरथगढ़ गांव के ग्रामीणों ने जानकारी दी कि इस समय डिलमिली सहित कई गांवों में पत्थर की खदानों से गिट्टी प्राप्त करने के लिए विस्फोट करने के सिलसिले के कारण नाले में प्रवाहित होने वाले भू-जल श्रोत को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है और नाला इसी लिए इस गर्मी में सूख गया है। जब पानी ही नहीं आयेगा तो नाले में पानी कहां से प्रवाहित होगा। इस संबंध में अशोक सोनवानी रेंजर कोटमसर वन परिक्षेत्र ने बताया कि कांगेर घाटी में प्रतिवर्ष 152 सेमी वर्षा होती है और पिछले कई वर्षों से घाटी में वर्षा की मात्रा में कमी आ रही है। इसके कारण तीरथगढ़ व मुनगाबहार नाले में भी पानी नहीं आ रहा है। पानी का रिचार्ज करने व भूमिगत जल बढ़ाने के लिए सघन वृक्षारोपण करने की नाले के दोनों किनारों पर योजना बनाई गई है।(हि.स.)।

