रायपुर (mediasaheb.com) दाऊ कल्याण सिंह सुपरस्पेशलिटी अस्पताल (डीकेएस) में हुए घोटाले को लेकर एकतरफ जहां अधीक्षक डॉ. पुनीत गुप्ता की पुलिस द्वारा पतासाजी की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ उनके करीबी लोगों से पूछताछ भी शुरु है। पुलिस सूत्रों के अनुसार अब तक 23 लोगों से पूछताछ की जा चुकी है। पूछताछ में कई अहम सुराग मिले हैं। डीकेएस के लिए खरीदी दवा निगम (सीजीएमएससी) के जरिए हुई थी। एक-दो दिन में पुलिस दवा निगम कार्यालय में भी टेंडर से जुड़े दस्तावेजों की जांच करेगी। बताया जाता है कि निगम द्वारा सिर्फ दवा खरीदी की ही इजाजत थी। नियमों को दरकिनार करते हुए चिकित्सकीय उपकरणों की भी खरीदी की गई। यह भी पता चला है कि डीकेएस में एक गुप्त शयन कक्ष भी है। जिसको खोलने के लिए मशक्कत की जा रही है।
बताया जाता है कि इसका दरवाजा पुरी तरह से कम्प्यूटराईज्ड है। पुलिस सूत्राें का कहा है कि इसके अन्दर नगद राशि और महत्वपूर्ण दस्तावेज हो सकते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डीकेएस अस्पताल के पुर्निर्माण, उपकरणों की खरीदी, आउटसोसिंग, पैथालॉजी-रेडियोलॉजी का काम देने और अस्पताल परिसर की दुकानों के आवंटन में 50 करोड़ रुपए के घोटाले की एफआईआर कराई गई थी। पुलिस ने केस दर्ज कर दस्तावेजों की जांच ऑडिटर से करवाई तो घोटाले की रकम में इजाफा होने की जानकारियां सामने आई है। रकम का अंतर कितना है इस बात का खुलासा ऑडिट रिपोर्ट हाथ में आने के बाद अफसर करेंगे। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक डॉ. पुनीत गुप्ता ने 64 करोड़ रुपए के लोन के लिए जो ऑडिट रिपोर्ट पेश की है, उसमें दुर्ग के सीए प्रकाश के हस्ताक्षर हैं।
मामले में उनसे पूछताछ की तो उन्होंने अपने हस्ताक्षर होने से मना कर दिया। संदेह के आधार पर विवेचना अधिकारियों ने सीए देशमुख की हैंडराइटिंग का सैंपल हस्ताक्षर से मिलान के लिए भेजा है। इसकी रिपोर्ट का इंतजार है। पुलिस सूत्रों का यह भी कहना है कि डॉ. पुनीत गुप्ता के लोकेशन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली है और उन्हें शीघ्र ही गिरफ्तार किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि बुधवार को इस संबंध जब पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह से पूछा गया तो उनका जवाब था कि ‘उनका दामाद निर्दोष है उन्हें फंसाया जा रहा है। शीघ्र ही वे सामने आयेंगे।’ (हि.स.)।