रायपुर(mediasaheb.com) मानसिक विकास में विलंबता आज बच्चों में विशेष रुप से देखा जा रहा है। 1 साल के बच्चे में भी ऐेसे लक्षण दिखने लग जाते हैं। बच्चों के मानसिक विकास में विलंबता, मानसिक विकार, ऑटिज्म या दिव्यांगता के विशेष इलाज के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र (डीईआईसी सेंटर) खोला गया है। रायपुर के जिला अस्पताल में उक्त केन्द्र बीते तीन साल से ऐेसे बच्चों को विशेष उपचार और परामर्श प्रदान कर रहा है।
अब तक केन्द्र में सभी प्रकार की दिव्यांगता के कुल 1656 बच्चों का पंजीयन हुआ है। इनमें ऑटिज्म के 80 बच्चे भी शामिल हैं। ऐेसे बच्चों एवं सभी प्रकार की दिव्यांगता के लिए परामर्श और उपचार उक्त केन्द्र में उपलब्ध है। शिशु रोग विशेषज्ञ एवं इंचार्ज शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र (डीईआईसी सेंटर) रायपुर डॉ. निलय मोझारकर का कहना है कि मानसिक विकार, ऑटिज्म एक दिव्यांगता है। जिसमें दिमाग के सूचनाएं एवं शब्द सही से प्रोसेस नहीं हो पाते हैं। बच्चे को समझने, हाव-भाव दिखाने और बोलने में तकलीफ होती है। विशेषकर छोटे बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। अभिभावक कम उम्र के ऐेसे बच्चों के व्यवहार को देखकर बीमारी की पहचान कर लेंगे, पूरा परिवार ऐेसे बच्चों के प्रति सहयोगी व्यवहार रखेगा तभी बीमारी से सुधार मिल सकेगा।
उन्होंने बताया डीईआईसी यानि जिला शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र में ऐेसे पंजीकृत बच्चे रोजाना उपचार और परामर्श के लिए आ रहे हैं। पहले के मुकाबले लोगों में अब थोड़ी जागरूकता बढ़ी है इसलिए ऐेसे केसेस पंजीकृत होने लगे हैं। फिर भी जागरूकता की जरूरत है।इनके माध्यम से विशेष उपचार- डीईआईसी सेंटर में ऐसे असामान्य व्यवहार वाले बच्चों की विशेष देखभाल होती है। बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावकों, केयर टेकर की काउंसिलिंग होती है ताकि घर में अच्छा वातावरण इन बच्चों को मिले। सेंटर में विशेष तौर पर विशेषज्ञ डॉक्टरों के अलावा बहु विषयक टीम, साइकोलॉजिस्ट, स्पेशल एजुकेटर, सोशल वर्कर, ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट तथा फिजियोथेरेपिस्ट की देखरेख में ऐेसे बच्चों का उपचार किया जाता है।
यहां भी विशेष सुविधा
उप संचालक मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. महेन्द्र सिंह ने बताया रायगढ़, दुर्ग, बस्तर, सरगुजा, रायपुर और जांजगीर चांपा में मानसिक रूप से बीमार या मानसिक विकलांगता वाले बच्चों के इलाज की विशेष व्यवस्था की गई है। इनमें रायपुर, दुर्ग, बस्तर, सरगुजा और रायगढ़ में केन्द्र है। जहां साइकोलॉजिस्ट के अलावा विशेष डॉक्टरों के जरिए ऐेसे बच्चों का उपचार और परामर्श प्रदान किया जा रहा है। जल्द ही जांजगीर चांपा में भी विशेष सुविधा मिलने लगेगी।
दिखे ये लक्षण तो हो जाएं सतर्क
विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चे में यदि आवाज लगाने पर भी बच्चा अनसुनी कर दे, बच्चा अकेले और गुमसुम रहने लगे, सामान्य बच्चों की बजाए विकास धीमा होना, आंखों में आंखे डालकर बात करने से बच्चा घबराए, बच्चा अपने आप में खोया रहे, अपने आप को सामाजिक रूप से अलग रखे आदि लक्षण दिखे तो अभिभावकों को सतर्क हो जाना चाहिए। ऐसे में फौरन चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए। मानसिक बीमारी संभावित है। इसलिए इसका इलाज जितनी जल्दी शुरू कर दी जाए उतने अच्छे परिणाम मिलते हैं।