रायपुर, (mediasaheb.com) राज्य में टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए संचालित योजनाओं का जायजा लेने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और डब्लू एच ओ की संयुक्त टीम ने आज राजधानी के कालीबाड़ी स्थित जिला टीबी अस्पताल में बैठक ली। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने एक घंटे तक पावर पाइंट प्रेजेंटेशन के जरिये छत्तीसगढ़ में टीबी रोग से लड़ने के लिए संचालित योजनाओं और गतिविधियों की जानकारी दी । टीबी के मरीजों की बढ़ते संख्या की वजह इलाज के प्रत लोगों में जागरुकता आने की वजह है। लोग अस्पतालों तक पहुंचने लगे है। टीबी के संदेहास्पद मरीजों के लिए नि:शुल्क बलगम जांच के लिए सीबीनॉट की जिला टीबी अस्पताल और डॉ अंबेडकर मेडिकल अस्तपाल में भी उपलब्ध है। टीम ने टीबी अस्पताल के माइक्रोस्कोपीक लैब केंद्र के प्रभारी के रजिस्टर में दर्ज मरीजों के बारे में जानकारी लिया। जिसमें बताया गया कि हर महीने जांच रिपोर्ट पर टीबी के पॉजेटिव मरीज मिलने पर आईसीटीसी को भेजा जाता है। यूएसएआईडी इंडिया के प्रोजेक्ट मैनेजमेंट स्पेसिलिस्ट हेल्थ ऑफिसर डॉ. अमर शाह ने लैब में मरीजों से लिए गए सेम्पल की जांच रिपोर्ट हर महीने भेजने और चिंहाकिंत हितग्राही को दवाईयां उपलब्ध कराने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी ली ।
सीएमएचओ डॉ मीरा बघेल ने बताया, राजधानी सहित जिलों में 54 स्वास्थ्य केंद्र हैं जहां संदिग्ध मरीजों का बलगम सेंपल लेकर लैब में जांच कराई जाती है। राज्य में संचालित दो नई स्वास्थ्य स्कीम हाटबाजार क्लनिक और शहरी स्लम स्वास्थ्य स्कीम शुरु होने से झुग्गी बस्ती से लेकर हाटबाजारों में कैम्प लगाकर लोगों को हेल्थ चेकअप सघन रुप से किया जा रहा है। जिससे गतवर्ष से ज्यादा टीबी के मरीज मिल रहे हैं। सीएमएचओ डॉ. श्रीमती बघेल ने बताया, रायपुर जिले में जनवरी से अक्टूबर-2019 में 19800 इस्पूटम के जांच कराने पर टीबी के 4648 मरीज पॉजेटिव मिले हैं। चिंहाकित मरीजों को 6 महीने तक नियमित दवाईयों का सेवन कराया जाता है। इसके अलावा पोषण आहार के रुप में फूड बॉस्केट, नियमित वजन जांच और काउंसलिंग भी टीबी मरीजों का किया जाता है। वहीं जो मरीज बीच में दवाईयों का सेवन छोड़ देते हैं उनकों भी जांच के बाद अलग से दवाईंयां दी जाती है।
टीबी एवं एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी डॉ अविनाश चतुर्वेदी ने बताया, आज डब्लूएचओ की टीम ने राजधानी में जिला टीबी अस्पताल में बैठक ली। इसके बाद जिला अस्पताल पंडरी, डॉ. अंबेडकर अस्पताल मेडिकल कॉलेज परिसर, शासकीय आयुर्वेदिक अस्पताल, एम्स अस्पताल व शहरी स्वास्थ्य केंद्र गुढियारी का निरीक्षण किया। बुधवार को टीम जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पताल आरंग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व मंदिरहसौद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण कर टीबी कार्यक्रमों का जायजा लेंगे। वहीं जिले के अभनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के तोरला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में टीबी के मरीजों मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी लेंगे।
गुरुवार को केमिस्टों व निजी अस्पतालों के संचालकों से मिलकर चर्चा करेंगे। इसके बाद तीन दिनों के निरीक्षण व पड़ताल में टीबी नियंत्रण को लेकर योजनाओं के संबंध में मिलने वाली खामियों और बेहतर तरीके से किए जाने वाले प्रयासों की रिपोर्ट पर एक घंटे समीक्षा कर पूरी रिपोर्ट जिला कलेक्टर से मिलकर सौंप दी जाएगी। रिपोर्ट में दिए गए दिशा निर्देशों के तहत आगामी टीबी कार्यक्रमों को संचालित कर रोग को जड़ से समाप्त करने रणनीति तैयार की जा सकेगी।
ज्वाइंट मॉनेटरिंग मिशन की टीम भारत सरकार एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संगठन के अधिकारी छत्तीसगढ़ प्रवास पर 14 नवंबर तक रायपुर व बिलासपुर में रहेंगे। रायपुर की 11 सदस्यीय टीम में एसोसिएट चीफ ग्लोबल टीबी डॉ. आनंद डाटे, कंसल्ट डॉ. सेनैट केबेडे, प्रोफेसर डॉ मनोज जैन, विश्व बैंक के सोशल प्रोटेक्शन स्पेशिलिस्ट अंब्रिश शाही, प्राजेक्ट मेनेटमेंट स्पेसिलिस्ट हेल्थ ऑफिसर डॉ अमर शाह , सिनियर प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ निरज अग्रवाल , सिनियर रिसर्च ऑफिसर डॉ नीता सिंगल, डॉ बी. रमेश बाबू, सेंट्रल टीबी डिविजन सुश्री सेफाली शर्मा, डब्लूएचओ कंसलटेंट डॉ शांता अचंटा व डब्लूएचओ छत्तीसगढ़ मेडिकल कंसलटेंट डॉ निशचिट केआर ने टीम का समन्वय किया ।