बेंगलुरु, 10 जून (mediasaheb.com) । ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित जाने-माने कन्नड़ लेखक, नाटककार, सिने अभिनेता और चिंतक गिरीश कर्नाड का सोमवार सुबह शहर स्थित लावेल रोड स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे। कर्नाड को पत्नी सरस्वती, बेटे और बेटी हैं। उनका अंतिम संस्कार सोमवार देर रात शहर के कल्पली विद्युत शवदाह गृह में किया जाएगा। परिवार ने उनके अंतिम संस्कार के दौरान किसी भी धार्मिक और राजकीय सम्मान का पालन नहीं करने का फैसला किया है।
गिरीश कर्नाड कन्नड़ भाषा के आठ लेखकों में से थे, जिन्हें नाटक के क्षेत्र में योगदान के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था। उनका जन्म 19 मई 1938 को महाराष्ट्र के माथेरान में हुआ था। कर्नाड ने कन्नड़ के अलावा तमिल, तेलुगु, मराठी और हिंदी फिल्मों में अभिनय भी किया था। नागमंदला, हयवदना, तुगलक, ययाति, टूटी हुई छवियां, मा निशाडा, कडू और तलिदानंद उनके प्रसिद्ध नाटक थे।
कर्नाड को लेखन में नवाचार करने और सामाजिक रूप से प्रासंगिक मुद्दों को छूने का श्रेय दिया गया। उनके तर्कसंगत विचारों से समाज का एक वर्ग नाराज था। वह अपने पिता के चार बच्चों में से तीसरे थे। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी गिरीश कर्नाड ने चार दशकों तक नाटकों की रचना की। उन्होंने हिंदी और अन्य भाषा की भारतीय फिल्मों में भी काम किया।
गिरीश कर्नाड ने 1970 में फिल्म ‘संस्कार’ से अपनी ऑन-स्क्रीन शुरुआत की थी। एके-47, जनुमाधथ, कन्नूर हेगादति, धीरा राणा विक्रम, नीतांडा काइनेकी, प्रथार्था आदि फिल्मों में उन्होंने अभिनय किया। उन्हें आखिरी बार सलमान खान की टाइगर ज़िंदा है के सीक्वल ‘एक था टाइगर’ में देखा गया था।(हि.स.)