रायपुर(media saheb) कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष मगेलाल मालू, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, प्रदेश महामंत्री जितेन्द्र दोषी, प्रदेश कार्यकारी महामंत्री परमानन्द जैन, प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल, एवं प्रवक्ता राजकुमार राठी ने बताया कि कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वित्त मंत्री पियूष गोयल को आज भेजे एक पत्र में जीएसटी से अनुमान के मुताबिक राजस्व संग्रह न होने पर चिंता व्यक्त करते हुए जीएसटी कर प्रणाली में बुनियादी परिवर्तन करने का सुझाव दिया है ।
कैट ने सुझाव देते हुए कहा की अनेक स्तरों पर जीएसटी लगने के बजाय पूरी सप्लाई चेन में केवल तीन स्थानों पर ही जीएसटी लगाया जाए और उपभोक्ता के सामान लेते समय जीएसटी की राशि माल की कीमत में शामिल हो और उपभोक्ता से किसी भी अन्य रूप में कर न लिया जाए । इससे सामान खरीदते समय उपभोक्ता बिल लेने से नहीं कतराएंगे जिससे सरकार के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष राजस्व में बढ़ोतरी होगी ।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया, राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने श्री गोयल को भेजे पत्र में कहा है की वास्तव में सामान्य रूप से उपभोक्ता अलग से कर देने में कतराता है और माल लेते समय कर की दर की अधिकता को देखते हुए व्यापारी से बिल नहीं लेता जिसके कारण बड़ी संख्या में देश भर में बिक्री रिकॉर्ड पर नहीं आती है जिससे सरकार को राजस्व का नुक्सान होता है और अक्सर व्यापारियों को कर वंचना के लिए दोषी ठहराया जाता है जबकि व्यापारियों का कोई दोष नहीं होता । सामन खरीदते समय उपभोक्ता द्वारा बिल न लिए जाना राजस्व में गिरावट का एक बहुत बड़ा कारण है ।
इस सन्दर्भ में कैट ने सुझाव दिया है की जीएसटी को विभिन्न स्तरों की बजाय केवल तीन स्तरों पर ही लगाया जाए जिसमें पहला दो राज्यों के बीच हुई खरीद बिक्री पर आईजीएसटी , दूसरा किसी भी राज्य में हुई पहली बिक्री पर एसजीएसटी एवं सीजीएसटी एवं तीसरा किसी भी राज्य में वार्षिक 50 लाख रुपये से अधिक के निर्माण या उत्पादन पर एसजीएसटी तथा सीजीएसटी लगाया जाए और उसके बाद सप्लाई चेन में किसी भी स्तर पर जीएसटी न लगाया जाए बल्कि उसके बाद उपभोक्ता तक पहुँचने तक जीएसटी की राशि सामान की कीमत में ही शामिल रहे तथा कैट ने कहा की जब उपभोक्ताओं को टैक्स पेड सामान मिलेगा और उसे अलग से कोई कर नहीं देना पड़ेगा तब वो निश्चित रूप से सामान लेते समय में बिल अवश्य लेगा ।
इससे बड़ी संख्या में जो बिक्री अभी रिकॉर्ड में नहीं आती है वो रिकॉर्ड में दर्ज़ होगी और सरकारों का राजस्व काफी मात्रा में बढ़ेगा ! यह उल्लेखनीय है की राज्य के अंदर व्यापार करने वाले लोगों द्वारा विभिन्न चरणों में की गई खरीद एवं बिक्री पर वैल्यू एडिशन बेहद नाम मात्र का होता है जिसके कारण सरकार को मात्र 1 से 2 प्रतिशत राजस्व की हानि होगी जबकि प्रथम बिक्री पर जीएसटी लगने से लगभग 10 से 15 प्रतिशत राजस्व का इजाफा होगा और कर वंचना की सम्भावना भी न के बराबर होगी ।
कैट ने कहा की एक अनुमान के अनुसार जीएसटी में वर्तमान में पंजीकृत लोगों की कुल संख्या में लगभग एक लाख निर्माता हैं, लगभग 5 लाख बड़े व्यापारी हैं, लगभग 10 लाख वितरक हैं और एक करोड़ से ज्यादा छोटे रिटेलर हैं ।सरकार के राजस्व का बड़ा हिस्सा केवल निर्माता, बड़े व्यापारी एवं वितरकों से ही आता है जबकि छोटे व्यापारियों से नाम मात्र का कर आता है । यदि सरकार द्वारा यह कदम उठाया जाता है तो एक तरफ जीएसटी में पंजीकृत लोगों की संख्या लगभग 25 लाख रह जायेगी जिससे कानून की पालना में आसानी होगी एवं जीएसटी पोर्टल का बोझ भी बड़ी मात्रा में काम होगा इस व्यवस्था से बड़ी संख्या में देश भर के व्यापारी कर प्रणाली के दुष्चक्र से मुक्ति पा सकेंगे और उपभोक्ता भी ख़ुशी ख़ुशी बिल लेगा और अप्रत्यक्ष रूप से कर देगा । बड़ी मात्रा में जो बिक्री अभी तक रिकॉर्ड पर नहीं आती है वो भी रिकॉर्ड पर आएगी जिससे प्रत्यक्ष राजस्व काफी हद तक बढ़ेगा ।