रायपुर, (mediasaheb.com) छत्तीसगढ़ में बड़ते बिजली संकट का समाधान अधिकारियों-कर्मचारियों पर बिजली गिराना नहीं बल्कि प्रदेश में बिजली पैदावार बढ़ाना ही सो सकता है
पिछले 15 सालों में क़रीब 4 लाख करोड़ रुपए के निजी बिजली कम्पनियों के साथ काग़ज़ों में MOU करने के बावजूद रमन सरकार धरातल पर बिजली उत्पादन नहीं बड़ा पाई विधान सभा में सरकार द्वारा दिए जवाब और बिजली कम्पनियों के ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार
छत्तीसगढ़ में आज की तारीख़ में 407 करोड़ यूनिट की कमी है |
छत्तीसगढ़ के मड़वा में देश की सबसे महँगी बिजली पैदा होती है जबकि अगर सरकार की नियत
और नीति सही रही, तो विश्व की सबसे सस्ती बिजली छत्तीसगढ़ में पैदा हो सकती है |
विद्युत मंत्रालय का प्रभार भी ख़ुद रखने के नाते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ की
विद्युत स्थिति पर श्वेत पत्र जारी करे
विधान सभा में सरकार द्वारा दिए जवाब और बिजली कम्पनियों के ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में आज की तारीख़ में 407 करोड़ यूनिट की कमी है: पिछले 15 सालों में क़रीब 4 लाख करोड़ रुपए के निजी बिजलीकम्पनियों के साथ काग़ज़ों में MOU करने के बावजूद रमन सरकार धरातल पर बिजली उत्पादन नहीं बड़ा पाई।
जांजगीर के मड़वा में जो एकमात्र बिजली प्लांट इन 15 सालों में बना, उसमें इतना ज्यादा
भ्रष्टाचार और विलम्ब किया गया कि वहाँ पैदा बिजली 11 प्रति यूनिट की दर से दुनिया की सबसे महँगी पैदा करी जा रही बिजली है: मड़वा में बिजली उत्पादन बंद कर देने- और दूसरी जगह से बिजली ख़रीदने- से सरकार और जनता को कम नुक़सान होगा। जबकि कोयले का हमारे प्रदेश में इतना
अपार भंडार है कि- अगर सरकार की नियत और नीति सही रही- तो विश्व की सबसे सस्ती बिजली छत्तीसगढ़ में पैदा हो सकती है।
भूपेश भुपेश सरकार के वित्तीय दिवालियापन के परिपेक्ष में उसके द्वारा बिजली उत्पादन में बढ़ौतरी करने की अपेक्षा नहीं की जा सकती|
ऐसे में बिजली कटौती का उपाय बिजली विभाग के कनिष्ट अधिकारियों को निलम्बित पर उनपर बिजली गिराना नहीं बल्कि प्रदेश में बिजली पैदावार बढ़ाना ही सो सकता है।
मुख्यमंत्री के साथ-साथ विद्युत मंत्रालय का प्रभार भी ख़ुद रखने के नाते भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ की विद्युत स्थिति पर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए।