धमतरी, (media saheb.com)| वैसे तो महानदी जलाशय परियोजना जिसे आम बोलचाल में गंगरेल बांध कहा जाता है, का निर्माण सिंचाई सुविधा देने, भिलाई स्टील प्लांट को नियमित जलापूर्ति करने के लिए किया गया था। बाद में रायपुर नगर निगम को यहां के नहर के जरिए पेयजल की सुविधा उपलब्ध होने लगी। बदलते समय के साथ गंगरेल की प्रसिद्धि ने उसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए सरकार को मजबूर कर दिया। छत्तीसगढ़ अलग राज्य बनने के बाद से गंगरेल बांध को पर्यटन के नक्शे में शामिल कर लिया गया।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 90 किलोमीटर दूर और धमतरी जिला मुख्यालय से महज 13 किलोमीटर दूर पर है गंगरेल बांध, जहां आसानी से आवागमन की सुविधा उपलब्ध है। मौजूदा समय में गंगरेल पर्यटन स्थल के रूप में न केवल छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों, बल्कि आसपास के राज्यों में भी लोकप्रिय हो गया है। ऑनलाइन बुकिंग कर गंगरेल पर्यटन स्थल में लोग पहुंचते हैं। गंगरेल के विशाल जल ग्रहण क्षेत्र में पिछले कई सालों से बोटिंग सुविधा उपलब्ध है। इससे वहां का मनमोहक नजारा गोवा की भांति दिखाई देता है जिसे लोग छत्तीसगढ़ का मिनी गोवा कहने से नहीं हिचकते। गंगरेल में देखने और मनोरंजन के लिए बहुत कुछ है। यहां आकर्षक वुडन काटेज है। मोटल स्थापित है जिसमें ठहरने की सारी सुविधाएं हैं। अंगारमोती माई के दर्शन करने लोग दूर-दराज से पहुंचते हैं। यहां मानव वन और मचान हॉट है। जहां लोग सुकून के दो पल बिताकर आनंदित होते हैं। गंगरेल गार्डन 5 एकड़ के क्षेत्र में फैला है। जहां मनोरंजन के साधन मौजूद हैं। गंगरेल में सबसे ज्यादा आकर्षण यहां की बोटिंग है। बड़ा क्रूज, पैडल बोट तथा छोटे मोटर बोट में यहां पहुंचने वाले सैलानी जल क्रीड़ा का आनंद लेते हैं। क्रूज में 50-60 लोग एक साथ सवार होकर काफी दूर जाकर गंगरेल बांध के विशाल जलग्रहण क्षेत्र को निहारते हैं।
रोजाना सैकड़ों लोग पहुंचते हैं गंगरेल
गंगरेल बांध में आमतौर पर रोजाना 1000 से अधिक लोगों की आमदरफ्त बनी रहती है। शनिवार और रविवार को यह संख्या 4 से 5 हजार की हो जाती है। स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त जैसे मौके पर तो वहां पैर रखने की जगह नहीं रहती है। गाड़ियों का रेला लग जाता है। इस दिन 25 से 30 हजार लोग गंगरेल बांध परिवार सहित पहुंचते हैं। गणतंत्र दिवस के दिन 26 जनवरी को भी ऐसा ही नजारा रहता है। अन्य प्रमुख तीज त्योहारों में भारी भीड़ उमड़ती है।

सिंचाई के लिए मिलता है गंगरेल से पानी
32 टीएमसी क्षमता वाले गंगरेल बांध का निर्माण सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिए किया गया था। यहां वर्षा काल में पर्याप्त पानी भरा रहता है। गर्मी के दिनों में तालाबों को भरने, निस्तारी आदि समेत ग्रीष्मकालीन धान फसल के लिए विभिन्न नहरों के जरिए से पानी दिया जाता है। खरीफ सीजन में भी बारिश कम होने पर गंगरेल बांध से पानी छोड़ कर खेतों तक पहुंचाया जाता है। गंगरेल बांध से भिलाई स्टील प्लांट को नियमित पानी की सप्लाई की जाती है। वहीं नगर निगम रायपुर को पेयजल के लिए नहर के जरिए पानी पहुंचाया जाता है। पिछले कुछ सालों से धमतरी शहर को भी गंगरेल का पानी रुद्री बैराज के जरिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से होकर नागरिकों को पीने को मिल रहा है।

गंगरेल का शिलान्यास इंदिरा गांधी ने किया था
महानदी जलाशय परियोजना अंतर्गत तब के धमतरी तहसील के 52 गांव को डूब में लेकर गंगरेल बांध का निर्माण किया गया है। 5 जून 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गंगरेल पहुंचकर इस परियोजना की आधारशिला रखी थी। 1978 में जब यह बांध बनकर तैयार हुआ तो इसकी लागत 32 करोड़ आई थी। 14 गेट वाला गंगरेल बांध छत्तीसगढ़ के प्रमुख बड़े बांधों में शुमार है। बारिश के समय बाढ़ की स्थिति बनने पर जब 14 गेट खोले जाते हैं तो वहां से निकलने वाले पानी के मनभावन नजारे को देखने हजारों लोग गंगरेल की ओर कूच करते हैं। (मोहम्मद शाह ) For English News : the states.news