मुंबई, (media saheb) शेयर बाजारों में केवल भारतीय शेयर बाजार ही गिरावट का सामना नहीं कर रहे हैं, बल्कि एशियाई बाजारों के साथ ही यूरोपीय और अमेरिकी बाजारों पर भी असर पड़ा है।
अमेरिकी बाजारों की कमजोरी ने एशियाई मार्केट को हिलाकर रख दिया है। इसके कारण बाजार पर दबाव बना हुआ है। चीन में आर्थिक तंगी की संभावना को देखते हुए डाओ जोंस सूचकांक 660 अंक टूटकर बंद हुआ है, जबकि जापान का निक्केई इंडेक्स भी 608 अंक टूटा है। भारतीय शेयर बाजार पिछले दो दिनों में 750 अंकों से ज्यादा की गिरावट झेल चुका है।
नए साल में एशियाई और अमेरिकी व यूरोपीय शेयर बाजारों में मिलाजुला रुख नजर आ रहा है। हालांकि भारतीय शेयर बाजार में गिरावट जारी है। एशियाई बाजारों में जापान का बाजार निक्केई 608 अंक या 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट में चला गया है। इसमें हल्की-सी रिकवरी देखी जा रही है। फिलहाल निक्केई इंडेक्स 559.27 अंक या 2.79 फीसदी की गिरावट के साथ 19455 अंक पर लाल निशान में कारोबार करता नजर आ रहा है। एसजीएक्स निफ्टी में भी सुस्ती दिख रही है| इसमें 11 अंक या 0.1 फीसदी की मामूली बढ़त दर्ज हुई है, जबकि हैंग शेंग इंडेक्स 326.10 अंक या 1.30 फीसदी की बढ़त लेकर हरे निशान में कारोबार कर रहा है। कोरियाई बाजार का इंडेक्स कोस्पी भी 0.67 फीसदी बढ़ा है।
ताइवान इंडेक्स में भी 135 अंक या 1.4 फीसदी की गिरावट दर्ज हो चुकी है। शंघाई कम्पोजिट करीब 0.3 फीसदी की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है, तो शंघाई इंडेक्स में 1.81 फीसदी की बढ़त देखी जा रही है। कंप्यूटर्स और आईपैड निर्माता कंपनी एप्पल के शेयरों में भारी गिरावट के कारण अमेरिका मार्केट में उथल-पुथल मची हुई है। गुरुवार के कारोबर में डाओ 660 अंक टूटकर बंद हुआ। चीन में मंदी के डर से एप्पल का शेयर 10 फीसदी टूटकर बंद हुआ था। साल 2013 के बाद एप्पल के शेयरों में आई यह सबसे बड़ी गिरावट है। वैश्विक मार्केट में आई गिरावट को देखते हुए बाजारों पर आर्थिक मंदी का डर छा गया है। एप्पल ने चेतावनी दी थी कि ट्रेड वॉर से कारोबारी नुकसान हुआ है।
चीन में कारोबार करनेवाली दूसरी कंपनियों के शेयर्स में भी गिरावट देखी जा रही है। कैटरपिलर और बोइंग के शेयरों में लगभग 4 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। टेक सेक्टर में भी 5 फीसदी की गिरावट दर्ज हो चुकी है, जबकि एसएंडपी 500 और नैस्डैक इंडेक्स भी फिसले हैं। दोनों इंडेक्स में क्रमशः 2.5 फीसदी और 3 फीसदी तक की गिरावट आई है। (हि.स.)।