चंद्रयान-2 अब 20 अगस्त को चांद की कक्षा में पहुंचेगा
नई दिल्ली, (mediasaheb.com )। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 22 जुलाई को चांद के दक्षिणी ध्रुव तक का सफर तय करने निकला चंद्रयान-2 अब पृथ्वी के चारों तरफ 5 के बजाय 4 ही चक्कर लगाएगा क्योंकि बुधवार को पृथ्वी की कक्षा में जाने का समय करीब एक मिनट बढ़ा दिया गया है। चंद्रयान-2 अब 20 अगस्त को चांद की कक्षा में पहुंचेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 के पृथ्वी की कक्षा में आगे बढ़ाने की गति में आज दोपहर 2.00 से 3.30 बजे के बीच एक मिनट की बढ़ोतरी कर दी है। इससे अब चंद्रयान-2 की पेरिजी 230 किमी. और एपोजी 45163 किमी. हो गई है। लॉन्चिंग के समय इसे पेरिजी (पृथ्वी से कम दूरी) 170 किमी. और एपोजी (पृथ्वी से ज्यादा दूरी) 45 हजार 475 किमी. पर स्थापित किया गया था।
इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी 6 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाने के दौरान चंद्रयान-2 की कक्षा को लगातार बदला जाएगा। इसके बाद 14 अगस्त से चंद्रयान-2 चांद की तरफ जाने वाली कक्षा में यात्रा करके 20 अगस्त को चांद की कक्षा में पहुंचेगा। इसके बाद 11 दिन तक वह चांद के चारों तरफ चक्कर लगाएगा। एक सितम्बर को विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग होने के बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव की तरफ यात्रा शुरू करेगा। पांच दिन की यात्रा के बाद छह सितम्बर को विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। लैंडिंग के करीब चार घंटे बाद रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर विभिन्न प्रयोग करने के लिए उतरेगा।दरअसल चंद्रयान-2 को पहले 15 जुलाई को लॉन्च किया जाना था लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से एक हफ्ते के लिए लॉन्चिंग टाल दी गई। एक सप्ताह बाद चंद्रयान-2 को चांद पर भेजे जाने के बावजूद वैज्ञानिकों की कोशिश है कि मिशन पहले से तय समय पर ही पूरा हो, इसलिए आज चंद्रयान-2 की गति 1.12 मीटर प्रति सेकंड बढ़ाई गई है। अगर 15 जुलाई को चंद्रयान-2 लॉन्च होता तो वह छह सितम्बर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरता लेकिन एक सप्ताह बाद लॉन्चिंग होने के बाद भी छह सितम्बर को ही चंद्रयान-2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने के लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने एक मिनट की बढ़ोतरी की है।
चंद्रयान-2 की अगर 15 जुलाई को लॉन्चिंग होती तो उसे 973.70 सेकंड (करीब 16.22 मिनट) में पृथ्वी से 181.61 किमी. पर जाना था लेकिन 22 जुलाई को लॉन्च होने के बाद चंद्रयान-2 अब 974.30 सेकंड (करीब 16.23 मिनट) में पृथ्वी से 181.65 किमी. की ऊंचाई पर पहुंचेगा। इससे पृथ्वी के चारों तरफ अंडाकार चक्कर लगाने की एपोजी में भी 60.4 किमी. का अंतर आएगा। यानी अगर 15 जुलाई को चंद्रयान-2 लॉन्च होता तो इसकी पेरिजी 170.06 किमी. और एपोजी 39059.60 किमी. होती। इस तरह एक मिनट का समय बढ़ाकर एपोजी में 60.4 किमी. का अंतर लाया गया है। इससे पृथ्वी के चारों तरफ लगने वाला चक्कर भी कम होगा। संभवतः अब चंद्रयान-2 पृथ्वी के चारों तरफ पांच की बजाय चार चक्कर ही लगाएगा।
अब 22 जुलाई को लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-2 जब पृथ्वी के चारों तरफ अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाएगा तो इसकी पेरिजी (पृथ्वी से कम दूरी) 170 किमी. और एपोजी (पृथ्वी से ज्यादा दूरी) 39 हजार 120 किमी होगी। अब चंद्रयान-2 चांद की ओर ज्यादा तेजी से जाएगा और अंतरिक्ष में इसकी गति 10305.78 मीटर प्रति सेकेंड होगी जबकि अगर 15 जुलाई को लॉन्च होता तो यह 10,304.66 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की तरफ जाता। पृथ्वी की कक्षा में जाने का समय करीब एक मिनट बढ़ा दिए जाने से चंद्रयान-2 अब 20 अगस्त को चांद की कक्षा में पहुंचेगा। (हि.स.)


