रायपुर,(mediasaheb.com) कॅान्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष मगेलाल मालू , प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंह देव, प्रदेश महामंत्री जितेन्द्र दोशी, प्रदेश कार्यकारी महामंत्री परमानन्द जैन, प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल, एवं प्रवक्ता राजकुमार राठी ने बताया कि आज माननीय श्री टी.एस. सिंहदेव, वाणिज्य कर मंत्री छ.ग. शासन ने व्यापारी एवं जीएसटी विभाग के अधिकारियों की मिटिंग ली जिसमें कैट के प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधी मंड़ल माननीय मंत्री जी के मिटिंग में शामिल हुआ ।
श्री पारवानी ने बताया कि जीएसटी सम्पूर्ण भारत में 01 जुलाई 2017 से लागु किया गया। जैसा कि आपको विदित है कि जीएसटी लगभग 10 वर्षो कि परिचर्चा एवं तैयारी के उपरांत लागु किया गया था, परन्तु जीएसटी लागु होने के प्रथम दो वर्षो में जीएसटी के प्रावधानों में खामियों एवं अन्य व्यवहारिक समस्याओ को दूर करने हेतु लगभग 500 से अधिक अधिसूचनाएं, सर्कुलर एवं आदेश जारी किये गए है। जीएसटी में अभी भी बहुत से सुधार की आवश्यकता है। जीएसटी का क्रियान्वयन भारत की कर प्रणाली में एक बहुत बड़ा परिवर्तन था एवं इसमे उपरोक्तानुसार निरंतर परिवर्तन किये गए, जिससे व्यावसायियो को इसे समझने एवं अपने सॉफ्टवेयर एवं व्यवसाय प्रणाली में परिवर्तन करने में कठिनाई एवं समस्याएं हुई। उपरोक्त स्थिति में त्रुटि होना स्वभाविक है।
अतः जीएसटी में प्रथम तीन वर्षो को ट्रांजिट अवधि में रखा जाये तथा इस अवधि में हुई गलतियों को संशोधन करने के लिए अतिरिक्त समय प्रदान किया जाना चाहिए। साथ ही इस अवधि में हुई किसी भी प्रकार की त्रुटि हेतु ब्याज व पेनाल्टी नहीं लगाई जानी चाहिए। जीएसटी पर कैट का सुझाव जो निम्नानुसार हैः- 1. ब्याज, पेनाल्टी एवं विलंब शुल्क से छुट प्रदान की जाय। 2. जीएसटी वार्षिक विवरण एवं ऑडिट कि अंतिम तिथि को दिसम्बर 2019 तक बढ़ाया जाय।3. माल के परिवहन एवं ई-वे बिल में भ्ैछ ब्वकम नहीं होना चाहिए। अगर एक ट्रक में बहुत सारे व्यापारियों के माल है, जांच के दौरान किसी एक व्यापारी के कागजात मे कोई कमी है,तो अधिकारी सभी व्यापारी के माल रोक कर रख लेते, जिनके कागजात मे किसी भी प्रकार की कोई कमी नही हैं ऐसे व्यापारियों के माल को नहीं रोका जाना चाहिए 4. व्यवसाय को राहत देने एवं म्ेंम वि क्वपदह ठनेपदमे हेतु सुझाव ।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा ई-वे बिल पर जिला स्तर पर राहत प्रदान की गई है, इस हेतु हम आभारी है। इस संबंध में सुझाव यह है कि प्रदेश स्तर पर ई-वे बिल पर पूर्ण छूट प्रदान की जानी चाहिए एवं अर्तराज्यीय ट्रांजेक्शन पर ही इसे लागू किया जाना चाहिए ताकि समय व श्रम की बचत होगी ।
स्टेट जीएसटी कांऊसिल का राज्य में गठन किया जाना चाहिए। एवं राज्य के व्यापारीयों को भी शामिल किया जाना चाहिए। जिससे ऐसी कमेटी द्वारा हर दो से तीन माह में राज्य में हो रहे व्यापारियों को जीएसटी से सम्बंधित सुझाव/समस्याओं का निराकरण किया जा सके एवं जीएसटी कांऊसिल तक छत्तीसगढ राज्य की बात पहुचाई जा सके। एच.एस.एन. कोड को सिर्फ आयात-निर्यात की स्थिती में रखा जाना चाहिए।5. जीएसटी की दर में कमी करने हेतु सुझाव- प्रयोग की गई वाहन, कृषि उपकरण एवं केक पेस्ट्री पर कर की दर 5 प्रतिशत होनी चाहिए। 6. एक व्यवसाय एक कर- सायकल, स्टेशनरी, जुते एवं कपडे़ में एक ही कर की दर होनी चाहिए एवं फुटा चना करमुक्त होना चाहिए।
कैट ने सरल समाधान योजना के अन्तर्गत वेट अधिनियम, प्रवेश कर एवं केन्द्रीय विक्रय करअधिनियम के तहत कर निर्धारण करने की मांग की श्री पारवानी ने बताया कि छत्तीसगढ राज्य में जीएसटी लगने के पूर्व वेट अधिनियम के अंतर्गत लंबित प्रकरणो के लिए एक सरल समाधान योजना लाई जानी चाहिए जिससे वेट अधिनियम, प्रवेश कर अधिनियम केन्द्रीय कर अधिनियम के तहत पुराने जो भी प्रकरण लंबित हो उनके कर निर्धारण करके प्रकरण समाप्त किये जाने चाहिए। इस तरह का सरल समाधान योजना लाने पर विभाग, व्यापार और उद्योग का समय और श्रम बचेगा और शासन को एकमुश्त पैसे मिलेगें और विभाग, व्यापार और उद्योग पूरी तरह से जीएसटी पर केन्द्रित होकर काम करेगा। यह स्कीम लाने से छत्तीसगढ के व्यापारियों को वाणिज्य कर की समस्या का समाधान हो जायेगा। यह सरल समाधान योजना महाराष्ट्र राज्य में लागू की जा चुकी है।
पारवानी ने कहा कि ठीक उसी प्रकार केन्द्रीय सरकार द्वारा सेवाकर से सम्बंधित ब्याज एवं पेनाल्टी में छूट प्रदान करने के लिए नई योजना लाई गई है, जिसमें पेनाल्टी एवं ब्याज को पूर्ण रूप से समाप्त किया गया है, एवं सेवाकर में 40 प्रतिशत एवं 70 प्रतिशत तक छूट प्रदान की गई है। श्री पारवानी जी ने माननीय मंत्री से अनुरोध किया कि इस सरल समाधान योजना को जल्द से जल्द छत्तीसगढ राज्य में लागू किया जाए।
मंत्री के मिटिंग में कैट के पदाधिकारी उपस्थित रहेः- अमर पारवानी, विक्रम सिंह देव, जितेन्द्र दोशी, राम मंधान, विजय शर्मा, विजय गोयल, रतन लाल अग्रवाल, प्रेम पाहुजा, सतीश सावनतिया, दयाल राजपाल इत्यादि रहे।