रायपुर,(media saheb) भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ.रमन सिंह ने केन्द्र सरकार के बजट को लोककल्याण की दिशा में मील का पत्थर बताया। नेता प्रतिपक्ष ने बजट को नए भारत की आशा को साकार करने वाला बताया है।
श्री कौशिक ने कहा कि इसमें सभी वर्ग के लोगों के कल्याण की भावना प्रतिबिंबित हो रही है। एक ओर जहां किसानों के लिए किसान सम्मान निधि की घोषणा कर केन्द्र सरकार ने 75 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान कर न्यूनतम आय सुनिश्चित की है, वहीं दूसरी ओर सामान्य व मध्यम वर्ग के लिए आयकर की छूट की सीमा सीधे 05 लाख रुपए तक बढ़ा दी गई है। इससे देश के अन्नदाता किसानों और मध्यम वर्ग के लोगों व कर्मचारियों को काफी राहत मिलेगी।
इसी तरह 64,587 करोड़ रुपए का रेल बजट तय करके सरकार आम आदमियों की रेल यात्रा को समयबध्द, सुरक्षित और विश्वस्तरीय बनाने के लिए संकल्पित है। आगामी वित्तीय वर्ष में वित्तीय घाटा जीडीपी का 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है और केन्द्र सरकार ने महंगाई को 10 से घटाकर सात प्रतिशत लाकर एक मिसाल पेश की है। इसी तरह अरूणाचल को हवाई और मेघालय, त्रिपुरा व मिजोरम को रेल सुविधाओं से जोड़कर सरकार ने पूर्वोत्तर के राज्यों के विकास की एक नई और दमदार शुरूआत की है।
पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ.रमन सिंह ने केन्द्र सरकार के बजट को लोककल्याण की दिशा में मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि आयकर सीमा बढ़ाने के देश भर के 3 करोड़ मध्यम वर्गीय परिवार लाभान्वित होंगे। किसान सम्मान निधि योजना के तहत 12 करोड़ छोटे किसानों को प्रति वर्ष 6 हजार रुपए देने की घोषणा अन्नदाताओं का वास्तविक सम्मान है। इस योजना में केन्द्र सरकार 75 हजार करोड़ रुपए खर्च करेंगी।
डॉ. सिंह ने कहा कि कालाधन की वापसी के संकल्प को दुहराते हुए सरकार ने जीएसटी में 80 हजार करोड़ रुपए की राहत का उल्लेख किया और भविष्य में और राहत देने का भरोसा दिलाया। भारत सरकार ने आने वाले पांच वर्षों में 5 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य भी तय किया है। देश के इतिहास में पहली बार जहां इनकम टैक्स की सीमा पांच लाख रुपए तक बढ़ाकर सरकार ने सभी करदाताओं को राहत प्रदान की है, वहीं पहली बार इस साल रक्षा बजट के लिए 3 लाख करोड़ रुपए रखे जाने का स्पष्ट संदेश है कि केन्द्र सरकार देश की सीमाओं की सुरक्षा के प्रति तो गंभीर है, साथ ही सेना के जवानों की मूलभूत जरूरतों के प्रति संवेदनशील भी है।