रायपुर(media saheb) भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार द्वारा किसान सम्मान निधि देने की घोषणा पर कांग्रेस को बदहवास नहीं होने की नसीहत दी है। पार्टी ने प्रदेश सरकार के पैरोकारों को यह सलाह भी दी है कि वे अब आंकड़ों का भ्रमजाल बुनकर किसानों को गुमराह करना बंद करें।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संदीप शर्मा ने कहा कि केन्द्र सरकार के बजट प्रावधान से प्रदेश सरकार के धान मूल्य की तुलना करना निरा बेमानी और हास्यास्पद है। कांग्रेस नेता स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों से अधिक मूल्य पर धान खरीदने का सफेद झूठ परोस रहे हैं। स्वामीनाथन आयोग ने 22 सौ रुपए प्रति क्विंटल पर धान खरीदने की सिफारिश की है लेकिन प्रदेश सरकार 25 सौ रुपये धान मूल्य देने का दावा करके वृथा गाल बजा रही है क्योंकि इन 25 सौ रुपयों में तीन सौ रुपए प्रति क्विंटल बोनस की राशि भी जुड़ी है। बोनस छोड़कर प्रदेश सरकार के पैरोकार बताएं कि अब धान की कीमत 22 सौ रुपए से ज्यादा कैसे हुई? अगर प्रदेश सरकार 25 सौ रुपए का दावा करती है तो उसे प्रदेश के किसानों को 28 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान का भुगतान करना चाहिए।
प्रवक्ता श्री शर्मा ने कहा कि किसान सम्मान निधि को किसानों का अपमान बताकर कांग्रेस के नेता खुद किसानों का अपमान कर रहे हैं। वातानुकूलित कमरों में आंकड़ों की जुगाली करने वालों को छह हजार रुपए सालाना सम्मान निधि का मोल समझ नहीं आएगा। केन्द्र सरकार किसानों के स्थायी लाभ के लिए जिन योजनाओं पर काम कर रही है, उनसे देश के किसानों की भावी पीढिय़ां न केवल कर्ज के अभिशाप से मुक्त रहेंगीं, अपितु वे आर्थिक रूप से सबल व आत्मनिर्भर भी होंगीं।
श्री शर्मा ने कहा कि धान की कीमत के साथ ही कांग्रेस नेता और सरकार के मुखिया कर्जमाफी को लेकर भी झूठ परोस रहे हैं। चुनाव से पहले हर किसान का हर कर्ज माफ करने का शोर मचाने वाले कांग्रेसी अब तक इस मामले में पारदर्शिता नहीं दिखा पाए हैं।जो किसान केसीसी के माध्यम से राष्ट्रीयकृत बैंकों से कृषि कर्ज लिये हैं ऐसे 10 लाख से अधिक किसानों के साथ सीधा छल कर उनके कर्ज माफ नहीं किये जा रहे हैं। कांग्रेस के नेता खुद मानते हैं कि किसान की परिभाषा एक है और उसे किसी सीमा में नहीं बांधा जा सकता, पर व्यवहार में कर्जमाफी को लेकर कांग्रेस और उसकी प्रदेश सरकार का दोहरा मानदंड किसानों को अच्छी तरह समझ आ रहा है। प्रदेश के किसान और आम जन यह अच्छी तरह समझ गए हैं कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव तक ही उनकी फिक्र करेगी और उसके बाद वह अपने असली राजनीतिक चरित्र पर उतर आएगी।


