रायपुर(media saheb.com) छत्तीसगढ़ किसान सभा ने बहुप्रचारित किसान सम्मान निधि को चुनावी जुमला करार देते हुए पूछा है कि किसानों को 3-4 रुपये प्रतिदिन की मदद उन्हें सम्मानित करने की योजना है या लांछित करने की? छग किसान सभा के राज्य महासचिव ऋषि गुप्ता ने बताया कि इस योजना के दायरे से भूमिहीन और बंटाई में खेती करने वाले किसान बाहर ही हैं. इस योजना में शामिल होने के लिए आवेदन देने की अंतिम तिथि भी आज 20 फरवरी ही है, जबकि राज्य सरकारों को इसके आदेश 16 फरवरी को ही मिले हैं. ऐसी स्थिति में वे 12 करोड़ सीमांत व लघु किसानों को, जो तकनीकी रूप से इस योजना के हकदार हैं, को भी इस योजना का लाभ नहीं मिलने वाला है और यह योजना भी चुनावी जुमला साबित होने जा रही है. उन्होंने कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार किसानों से विश्वासघात करना बंद करें|
किसान सभा ने मांग की है कि इस योजना के लाभार्थी किसानों की पहचान के लिए अंतिम तिथि बढ़ाई जाएं तथा भूमिहीन किसानों और बंटाईदारों को भी इसमें शामिल किया जाएं. जिन राज्यों में कम्प्यूटरीकृत भूमि-रिकॉर्ड नहीं है, वहां ऐसे किसानों की पहचान करना और भी कठिन काम है. अतः इस काम में पंचायतों और ग्राम सभाओं को भी शामिल किया जाए.
गुप्ता ने कहा है कि देश का किसान आंदोलन स्वामीनाथन आयोग के सी-2 फार्मूले के अनुसार लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने, किसानों को उन पर चढ़े सरकारी और निजी कर्ज़ों से मुक्त करने और 60 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों को 5000 रुपये मासिक पेंशन देने की मांग कर रहा है. इन मांगों को पूरा करने के बजाए इस योजना ने उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का ही काम किया है.|
उन्होंने बताया कि केरल की वामपंथी सरकार 2600 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर धान खरीद रही है और पंचायतों के जरिये धान उत्पादक किसानों को 7000 रुपये प्रति एकड़ की अतिरिक्त मदद भी कर रही है. उसके किसानों को कर्ज मुक्त करने के लिए ऋण मुक्ति आयोग भी बनाया है. गहराते कृषि संकट से किसानों को उबारने के लिए चुनावी योजनाओं की बजाए ऐसे ही व्यवहारिक कदम उठाने की जरूरत है|