टोरंटो, (mediasaheb.com)। कनाडा में सोमवार को संसदीय चुनाव हुआ, लेकिन संकेतों से लगता है कि सत्ताधारी लिबरल पार्टी बहुमत से दूर रह जाएगी और प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को दूसरा कार्यकाल नहीं मिलेगा।
विदित हो कि साल 2015 के संसदीय चुनाव में 47 वर्षीय ट्रूडो की जीत के पीछे उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो की साख की बहुत बड़ी भूमिका थी। लेकिन इस बार एक तो जनता नाराज थी और दूसरा कई घोटालों की तोहमत उन पर लगी हुई थी।
सर्वेक्षण के मुताबिक, ट्रूडो की लिबरल पार्टी कंजर्वेटिव पार्टी से पराजित हो सकती है, लेकिन उसे बहुमत मिलने में संदेह है और सत्ता में आने के लिए इस पार्टी को अन्य विपक्षी दलों पर निर्भर करना पड़ेगा। अगर ट्रूडो सत्ता से दूर रह जाते हैं तो कनाडा के 84 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा कि संसद में बहुमत के साथ कोई प्रधानमंत्री दोबारा चुनाव नहीं जीत पाएगा।
उल्लेखनीय है कि कंजर्वेटिव पार्टी के दस साल के शासन के बाद ट्रूडो ने साल 2015 में उदारवाद को फिर से स्थापित किया था। दुनिया के चुनिंदा प्रगतिशील नेताओं में उनकी गिनती होने लगी थी। इतना ही नहीं ट्रंप काल में भी उन्हें उदारवादियों के लिए प्रकाशस्तंभ के रूप में देखा जा रहा था। ट्रूडो पर संकट के मद्देनजर शायद पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी इस बार उनका समर्थन किया था।
ओबामा ने कनाडाई जनता से अपील की कि ट्रूडो को दोबारा जीताएं, क्योंकि अभी दुनिया को उनके प्रगतिशील नेतृत्व की जरूरत है। लेकिन पिछले महीने उनकी एक पुरानी तस्वीर सामने आई जिससे लोगों को उनके ऊपर संदेह होने लगा।
इसके अलावा इस साल एक घोटाला तब उजागर हुआ जब अटर्नी जनरल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने क्यूबेक कंपनी के खिलाफ अभियोग चलाने से रोकने के लिए उनके उपर दबाव बनाया। इससे विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी को एक बड़ा मुद्दा मिल गया, जिसका उसे लाभ भी मिला है।
सर्वेक्षण के मुताबिक 338 सीटों वाली कनाडाई संसद में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने जा रहा है, इसलिए सरकार बनाने के लिए बड़ी पार्टी को गठबंधन करना पड़ेगा। कंजर्वेटिव पार्टी क्यूबेक पार्टी के साथ गठबंधन कर सकती है, जबकि सत्ता में बने रहने के लिए लिबरल पार्टी को न्यू डेमोक्रेट्रस का सहारा लेना पड़ेगा। (हि.स.)