मुंबई, (mediasaheb.com) कंगना को लेकर किसी को शक सुभा नहीं रहा कि वे वैचारिक स्तर पर नरेंद्र मोदी की सरकार के करीब हैं। मुंबई में वोटिंग के बाद भी कंगना ने मीडिया के कैमरों के सामने कांग्रेसी शासन की जमकर खिंचाई की और मोदी को इस देश का नेतृत्व करने के लिए परफेक्ट पीएम बताया। कुछ लोगों को इस बात पर हैरानी जरुर है कि भारतीय जनता पार्टी ने इन चुनावों में कंगना का इस्तेमाल क्यों नहीं किया। जब चुनाव शुरु नहीं हुए थे, तब कहा जा रहा था कि कंगना शिमला से भाजपा का टिकट चाहती हैं। ये टिकट उनको नहीं मिला, तो एक दिन उन्होंने फुर्सत में एलान कर दिया कि वे सियासत के मैदान में किसी एक पार्टी के साथ बंधकर नहीं रहना चाहतीं, लेकिन कंगना इस बात के लिए तैयार थीं कि वे इन चुनावों में भाजपा के लिए प्रचार करेंगी।
कहा जाता है कि भाजपा के हाईकमान से उनको स्टार प्रचारक तक बनाने की संभावना पर विचार हुआ था। कंगना बोलती हैं और खूब बोलती हैं। भाजपा के विरोधियों पर बरसने में उनका कोई सानी नहीं है। कंगना कुछ कहतीं, तो मीडिया में भी तवज्जो मिलतीं। वे जहां भी प्रचार के लिए जातीं, मीडिया के कैमरे उनके पीछे होते। इस संभावना को पार्टी ने गंभीरता से क्यों नहीं लिया, इसकी बात भाजपा के एक फिल्मी मित्र ने बताई। उनका कहना था कि कंगना अच्छा बोलती हैं, लेकिन बेहद मूडी हैं और पार्टी को उनके ये तेवर पसंद नहीं हैं। भाजपा के ये मित्र कहते हैं कि कंगना आजादी से काम करने में यकीन रखती हैं और अपने आगे वे किसी की नहीं सुनतीं। यही रवैया उनको भाजपा से दूर कर गया। कहा जाता है कि कंगना को भाजपा ने उत्तर भारत की कई सीटों पर प्रचार के लिए भेजने का मन बनाया था, लेकिन जब इस बाबत कंगना से बात हुई, तो पहले कंगना ने अपनी टीम को आगे करने की कोशिश की, जिसे मना किया गया, तो उन्होंने इस बात की शर्त रख दी कि उनको कहां कब किसके प्रचार के लिए जाना है, ये बात वही तय करेंगी। यहीं से बात बिगड़नी शुरु हो गई और कंगना से पार्टी ने दूरी बना ली।
एक बात तो तय है कि कंगना के प्रचार से दूर जाने से कांग्रेस ने जरुर राहत की सांस ली। वे भाजपा के लिए कितना फायदा करातीं, ये अलग बात है, लेकिन कांग्रेस पर बरसने में वे कोई कोताही नहीं बरततीं। हालांकि एक संभावना अब भी बाकी है। मोदी सरकार सत्ता में लौटने के बाद कंगना को पद्मश्री से लेकर राज्यसभा की सीटावनाओं के बीच रखना चाहती है, लेकिन शर्त ये है कि कंगना अपने रवैये में थोड़ी सी नरमी लाएं। कंगना को ये शर्त मंजूर होगी क्या? इस सवाल का जवाब नई सरकार के गठन के बाद ही सामने आ सकता है |(हि.स.)।