नई दिल्ली, (media saheb.com) दुनियाभर में आए कोरोना ने पहली और दूसरी लहर में इतना नुकसान किया कि उसकी भरपाई करना अब तक कठिन हो रहा है। व्यवसाय, नौकरी में हुई क्षति की पूर्ति तो देरसबेर की जा सकती है, मगर जनहानि की पूर्ति कभी नहीं हाे सकती। कोराेना ने उनके परिवार को हमेशा के लिए को ऐसी हानि दी है कि उसे मुआवजा से दूर नहीं किया जा सकता। विशेष कर उन परिवारों के सामने चुनौती खड़ी हो गई है, जिनके परिवार का कमाऊ मुखिया चला गया। ऐसे परिवार अब छोटे धंधे या नौकरी के जरिए अपने परिवार को पटरी पर लाने का प्रयास कर रहे हैं। कोरोना ने सबक दिया है कि बीमारी आने पर स्वास्थ्य विभाग के गाइड लाइन का पालन किया जाना चाहिए। इस गाइड लाइन का पालन नहीं करने वाले और लापरवाही करने वाले लोग ज्यादातर कोरोना की चपेट में आए हैं। कोरोना की दूसरी लहर में हुई मौतों ने दहशत फैला दी और इसके कारण लोगों ने शारीरिक दूरी बना कर रखी। मास्क भी लोग पहनते रहे। इसके बाद हालत लगातार सामान्य होता चला गया और केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार ने भी सख्ती में कमी करनी शुरू कर दी। कुछ शहरों में आज भी लोग बड़ी संख्या में मास्क पहन रहे हैं, वहीं कई शहर ऐसे हैं, जहां लोगों ने मास्क को भुला दिया है। साथ ही शारीरिक दूरी का कहीं पर पालन नहीं हो रहा है। कोरोना के नए वेरिएंट अोमिक्रान ने लोगों को अपनी चपेट में लेना प्रारंभ कर दिया है। देशभर में इसके 350 से ज्यादा मरीज हो चुके हैं। देश एक बार फिर से कोराेना की राह में जाने के लिए खड़ा हो रहा है। लॉकडाउन की चर्चा होने लगी है और हाईकोर्ट ने भी इसे संज्ञान में लेकर विधानसभा चुनाव तक को टालने का सुझाव दिया है। इस हालत में सरकार तो ऐहतियाती कदम उठाएगी ही, अब जनता को भी सचेत होना पड़ेगा। फिलहाल सरकार सख्य लॉकडाउन के मूड में नहीं है और राज्य सरकारों को जिम्मा दिया गया है कि वे इस पर विचार कर फैसला लें। अभी माना जा रहा है कि रात में सख्ती जा सकती है। लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में लोगों का काम- धंधा बंद हो गया था और परिवारों ने आर्थिक तंगी का सामना किया। इसीलिए माना जा रहा है कि अब केंद्र सरकार इस तरह के सख्त कदम उठाने की जगह वैकल्पिक उपाय करेगी। राज्य सरकारों को तय करना है कि किस तरह की सख्ती से नए संक्रमण को रोका जाए। अभी राज्य सरकारों ने अपने स्तर पर कोरोना जांच की गति बढ़ा दी है और साथ ही दूसरे राज्यों से आने वाले मरीजों पर निगाह रखी जा रही है। अभी विदेश से आने वाले लोगों पर ज्यादा बारीकी से निगाह रखने की आवश्यकता है। कहीं से कहीं से मांग उठी है कि केंद्र सरकार को विदेश की हवाई सेवा बंद कर देनी चाहिए। कुछ देशों ने ऐसा किया भी है, मगर व्यावहारिक रूप से ऐसा करना संभव प्रतीत नहीं हो रहा है। कोरोना के कारण देश के बड़े कारोबारियों के विदेश में संचालित कारोबार प्रभावित हुए और छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। छात्रों ने विदेशी संस्थानों में एडमिशन लिया था, लेकिन लॉकडाउन के कारण करीब दो साल तक अपने घर से ऑनलाइन पढ़ाई करनी पड़ी। इसके कारण छात्रों के विदेशी संस्थान में पढ़ने का उद्देश्य पूरा नहीं हो सका। विदेशी संस्थान में जाने वाले छात्र चाहते हैं कि वहां का व्यावहारिक ज्ञान मिले, संस्थान का अनुभव मिले, जो कोरोना के कारण संभव नहीं हो सका। ओमिक्रान का संक्रमण जैसे- जैसे बढ़ता जा रहा है, वैसे- वैसे लोगों के माथे पर चिंता की लकीर दिखाई दे रही है। हर कोई भविष्य को लेकर सशंकित है। इस आशंका के बीच राज्य सरकार को स्वास्थ्य सुविधा के लिए बुनियादी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। अभी कोरोना के लिए बनाए गए सभी अतिरिक्त सेंटर बंद हैं और वहां के जांच उपकरण हटा लिए गए हैं। सरकार को समय रहते इसकी व्यवस्था दुरुस्त कर लेनी चाहिए। यदि ओमिक्रान का संक्रमण फैलता है, तो उस वक्त इलाज के लिए भगदड़ की हालत नहीं बनेगी। कम से कम यह तो नहीं होगा कि मरीज बिस्तर के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकते रहें। ऐसा सीन कोराेना की दूसरी लहर में देखा गया था। राज्य सरकार को इससे सबक लेकर तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए। फिलहाल राज्य स्तर पर कोरोना कंट्रोल रूम को प्रारंभ कर दिया है। इसके अतिरिक्त अब जनता पर फिर से मास्क और शारीरिक दूरी के लिए सख्ती बरतने की आवश्यकता है। सख्ती के बिना जनता मास्क का पालन नहीं कर रही है। सैनिटाइजर और मास्क का इस्तेमाल अब कम होने लगा है, जबकि कोराेना से बचाव में यही सबसे बड़ा हथियार है। जनता को सख्ती के साथ जागरुक भी करना होगा, इससे कोराेना के नए वेरिएंट से आधी लड़ाई जीती जा सकती है। |
Sunday, September 14
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