रायपुर, (mediasaheb.com) भिलाई के रहने वाले प्रेमचंद का 30 नवम्बर 2019 को सड़क चलते समय एक्सीडेंट हो गया जिसमे उनको दोनों पैरो के घुटनो में फ्रेक्चर हो गया था ! उसके इलाज के लिए उन्हें भिलाई स्थित अस्पताल में भर्ती किया गया |
उन्हें पैरो के ऑपरेशन की सलाह दी गई थी लेकिन मरीज को लगातार खांसी की समस्या उत्पन्न होने के कारण ऑपरेशन में देरी होते जा रही थी, खांसी के इलाज के क्षय रोग विशेषज्ञ की सलाह ली गई ! कई बार बाये तरफ के छाती से सुई डालकर पानी निकालने की कोशिश की गई ! जो की खतरनाक हो सकता है क्योकि ऐन्यूरिसम से रक्त स्त्राव हो सकता है, मरीज को क्षय रोग से सम्न्बधित दवाइयाँ दी गई , करीब दो सप्ताह बाद बाये तरफ के पैर का ऑपरेशन किया गया और मरीज को अस्पताल से छुट्टी दी गई | मरीज का दांया पैर का ऑपरेशन एक महीने बाद होना था |
पर मरीज की खांसी दिनोदिन बढ़ते जा रहे थे साथ ही उसके आवाज में परिवर्तन आ गया था और मरीज को बात करने में कठनाई हो रही थी , महीने भर बाद जब मरीज अपने दांया पैर के इलाज करने के लिए अस्पताल पहुंचा तो डॉक्टर ने उसे छाती का एम आर आई कराने की सलाह दी। एम आर आई का रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर के साथ साथ मरीज के परिजन भी दंग रह गए ! दो माह पहले हुए दुर्घटना के समय अंदरूनी चोट के कारण ह्रदय से निकलने वाली मुख्य धमनी (एओर्टा ) से रक्त स्त्राव होने के कारण बड़ी ऐन्यूरिसम (गांठ) बन गई थी जिसके आकर धीरे -धीरे लगातार बढ़ रहा था ! उसी ऐन्यूरिसम (गांठ) के बाहरी दबाव के कारण स्वास
नली का आकर छोटा हो गया था जिसके चले मरीज को लगातार खांसी की समस्या बनी हुई थी और बात करने में भी कठनाई हो रही थी |
गंभीर स्थिति को देखते हुए भिलाई के डॉक्टरों ने मरीज को इलाज हेतु बड़े अस्पताल ले जाने की सलाह दी तत्पश्चात मरीज के परिजनों ने दिनांक 17 /01 /2020 को मरीज को शंकर नगर स्थित एस एम सी हॉस्पिटल में इलाज के लिए भर्ती किया गया | महाधमनी का ऐन्यूरिसम कभी भी फट सकता है जिससे मरीज की जान तुरंत जा सकती है ! इसलिए जल्दी इलाज करना जरुरी था|
एस एम सी हॉस्पिटल के विशेषज्ञ डॉक्टरो के दक्ष टीम ने अकस्मात मृत्यु की संभावना देखते हुए मरीज के त्वरित इलाज का निर्णय लिया गया, मरीज को ऑपरेशन तथा महाधमनी के धातु के स्टेंट ग्राफ्ट जिसे TEVAR (टावर), थोरेसिक इंडोवैस्कुलर ऐन्यूरिसम रिपेयर भी कहते है ! का विकल्प दिया गया ! ऑपरेशन में बेहोशी की दवा देने और वेंटिलेटर का रिस्क रहता है साथ ही ऑपरेशन के दौरान ऐन्यूरिस्म का फटने का डर रहता है ! ऑपरेशन की जटिलता तथा उसके संभावित खतरे को देखते हुए टावर (स्टेंटिंग) का विकल्प चुना ! तत्पचात एस एम सी हॉस्पिटल के चिकित्सको डॉ एस एस मोहंती, , डॉ सतीश सूर्यवंशी, डॉ तुषार मालेवर के साथ अकिंत मिश्रा, युवराज चंद्राकर कैथ लैब के दक्ष टीम ने पूरी तैयारी की ! तत्पचात वास्कुलर सर्जन डॉ अजय चौरसिया ने दांये पैर की मुख्य धमनी को तैयार किया और उसी के द्वारा महाधमनी (एओर्टा ) की ऐन्यूरिसम का सफल स्टेंटिंग किया गया|
पुरे छत्तीसगढ़ राज्य में इस तरीके के इलाज पाने वाला यह पहला मरीज है , जिसे एक्सीडेंट से चोट लगने के बाद महाधमनी में ऐन्यूरिस्म हो गया था, जिसका इलाज स्टेंटिंग से किया गया |