रायपुर, (media saheb.com) एनआईए की जांच रिपोर्ट राज्य सरकार से साझा नहीं करने को गंभीर मामला निरूपित करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने झीरम नरसंहार में अपने नेतृत्व की एक पूरी पीढ़ी को खोया है। जीरम भाजपा के लिये राजनीति का विषय हो सकता है लेकिन कांग्रेस के लिए राजनीति नहीं वेदना का विषय है। सही जांच के बजाय एनआईए की जांच में रमन सिंह सरकार द्वारा बनाये गये नोडल आफिसरों ने बाधा डाली।
कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व ने पूरी जिम्मेदारी से इस बाधा की बात को उस समय भी उठाया। जीरम में माओवादी हमला ठीक उसी जगह हुआ जहां पर पुलिस सुरक्षा नहीं थी। बाकी स्थानों पर दी गयी पुलिस सुरक्षा ठीक उसी जगह क्यों नहीं थी जहां पर कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के काफिले पर हमला हुआ था? 2014 के लोकसभा चुनावों के प्रचार के समय स्वयं मोदी जी ने कहा था कि हमारी सरकार बनने के बाद 15 दिन के अंदर जीरम के आरोपी पकड़ लिये जायेंगे। 60 महिने बीत जाने के बाद भी मोदी जी के 15 दिन क्यों समाप्त नहीं हुये?
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि जिस दिन जीरम घाटी में शहीद विद्याचरण शुक्ल, नंदकुमार पटेल, दिनेश पटेल, उदय मुदलियार, महेन्द्र कर्मा, योगेन्द्र शर्मा, अभिषेक गोलछा, अल्लानूर भिंडसरा, गोपी माधवानी की शहादत की घटना हुयी उसी दिन कांग्रेस ने कहा था कि यह आपराधिक राजनैतिक षड़यंत्र है। जीरम में कांग्रेस नेताओं की शहादत को 6 वर्ष होने जा रहे है। आज तक जीरम के अपराधी खुलेआम घूम रहे है। चिंता की बात यह है कि रमन सिंह की सरकार ने झीरम घाटी के हत्यारों और षडयंत्रकारियों को पकड़ने की बात तो दूर पहचानने के प्रयत्न भी आरंभ नहीं किये और जीरम मामले में एनआईए की जांच में बार-बार रमन सिंह सरकार के मुकेश गुप्ता और एक अन्य नोडल ऑफिसर ने बाधा डाली और मोदी सरकार बनने के बाद तो जांच की दिशा ही बदल दी गयी।
एनआईए ने जीरम मामले में अपनी अंतिम रिपोर्ट सौपी दी लेकिन कोई खुलासा नहीं हुआ। जीरम की जांच के लिये बने न्यायिक जांच आयोग के कार्यक्षेत्र में साजिश की जांच को सम्मिलित ही नहीं किया गया है। दरभा थाने में जो रिपोर्ट दर्ज करायी गयी थी उस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। एनआईए के द्वारा आधी-अधूरी जांच कर अंतिम रिपोर्ट आरोप पत्र दाखिल कर देने के बाद जीरम के शहीदों के परिजन तत्कालीन कांग्रेस विधायक दल के नेता टी.एस. सिंहदेव के साथ रमन सिंह जी से भी नये रायपुर में मंत्रालय भवन में मिले थे। रमन सिंह जी ने जीरम की साजिश की जांच के लिये केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलवाने की बात कही थी। शहीदों के परिजनों को केन्द्रीय गृहमंत्री से मिलाने का वादा किये रमन सिंह जी को तीन साल से अधिक हो गये।
केन्द्रीय गृहमंत्री अनेक बार छत्तीसगढ़ आये लेकिन शहीदों के परिजनों की भाजपा सरकार के गृहमंत्री राजनाथ सिंह से न छत्तीसगढ़ में और न ही दिल्ली में मुलाकात हो सकी। कांग्रेस ने विधानसभा में भी राज्य सरकार से मांग की थी कि झीरम घाटी कांड के राजनीतिक आपराधिक षड़यंत्र की सीबीआई से जांच करायी जाये। रमन सरकार ने विधानसभा में घोषणा तो की लेकिन जांच नहीं करवाई। केन्द्र और राज्य की भाजपा सरकारों के रवैये के कारण जीरम मामले की साजिश की समूचित जांच और सीबीआई जांच नहीं हो पाई।
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि विधानसभा में पूरे सदन की भावनाओं के अनुरूप रमन सरकार ने सीबीआई जांच की घोषणा तो की लेकिन जीरम की घटना को 5 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जीरम की साजिश की जांच भाजपा की केन्द्र सरकार की एजेन्सी सीबीआई द्वारा क्यों शुरू नहीं हो सकी?
नरेद्र मोदी ने 2013 में कहा था कि माओवादी हमारे ही लोग है। यदि मोदी और रमन माओवाद को खत्म करने में वाकई में लगे थे तो 2003 में दक्षिण बस्तर में तीन सीमावर्ती ब्लाकों तक सीमित माओवाद ने रमन सिंह जी के गृह जिले कवर्धा और निर्वाचन जिले राजनांदगांव सहित प्रदेश के 14 जिलों को अपने गिरफ्त में कैसे ले लिया? माओवाद के छत्तीसगढ़ में हुये विस्तार के लिये रमन सिंह सरकार और नरेन्द्र मोदी सरकार ही जिम्मेदार है।