नईदिल्ली/एजेंसी(realtimes) सामान्य वर्ग के गरीब तबके को सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में आरक्षण देने के विधेयक को बुधवार को राज्यसभा में पेश किया गया। विधेयक को लेकर विपक्ष के हंगामा के कारण कार्यवाही दोपहर तक के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्ष ने मांग की है कि सवर्णो को आरक्षण प्रदान करने वाले संविधान विधेयक को विस्तृत विचार के लिए एक प्रवर समिति को भेजा जाए। हालांकि सरकार की इसे शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन बुधवार को पारित कराने की मंशा है। लोकसभा में संविधान (124वां संशोधन) विधेयक पारित हो चुका है। यह सरकारी सेवा और उच्च शिक्षण संस्थानों में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है। सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने इसे राज्यसभा में पेश किया।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के डी. राजा ने मांग की कि इसे एक प्रवर समिति को भेजा जाए और सदन को पहले इस पर निर्णय लेना चाहिए। कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री ने कहा कि विधेयक पूर्ण नहीं है। उन्होंने सरकार से कहा कि एक ही दिन में इसे पेश किया जाना और उसी दिन इस पर मतदान नहीं हो सकता। उन्होंने पूछा कि विधेयक को पारित करने को लेकर इतनी जल्दी क्यों है। सदस्य सदन के सत्र के बुधवार तक `एकतरफा` विस्तार के खिलाफ भी यह कहते हुए विरोध कर रहे थे कि यह विपक्ष के परामर्श के बिना किया गया। उन्होंने कहा कि सभापति ने सदन के कार्य दिवसों में एक दिन के विस्तार की घोषणा नहीं की और न ही सदस्यों की सहमति मांगी।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने कहा कि कांग्रेस विधेयक को रोकने के लिए तकनीकी मुद्दों को उठा रही है। उन्होंने कहा, `अगर आप खुले तौर पर विधेयक का विरोध करते हैं, तो यह अलग बात है। अन्यथा, चलिए इस पर चर्चा करते हैं क्योंकि यह पहले ही पेश किया जा चुका है। विधेयक को पेश करते हुए गहलोत ने कहा कि संविधान अभी आर्थिक आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है और इसके कारण सामान्य श्रेणी के गरीब लोग अवसरों से चूक जाते हैं। उन्होंने कहा, `सामान्य वर्ग के गरीबों द्वारा शिकायत की गई थी कि वे सरकारी लाभों का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं। यह निर्णय बहुत विचार के बाद लिया गया है। यह विधेयक गरीबों के उत्थान के लिए होगा। उन्होंने सदस्यों से विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने की अपील की। इसके बाद भाजपा सदस्य प्रभात झा ने बहस शुरू की।
लेकिन, शोरशराबा व हंगामा जारी रहा और उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह ने सदन को अपरान्ह 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। संविधान (124 वां संशोधन) विधेयक के पक्ष में 323 सदस्यों द्वारा मतदान करने पर मंगलवार को लोकसभा में यह पारित हुआ। तीन सदस्यों ने इसके विपक्ष में मत दिया था। इससे पहले भी, सत्र के `एकतरफा` विस्तार पर सदस्यों के विरोध के बाद सदन को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।