नई दिल्ली, (media saheb) सरकार का अनुमान है कि आधार के उपयोग से मार्च, 2018 तक पिछले कुछ वर्षों में 90,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है। कई डुप्लीकेट लाभार्थियों, गैर-मौजूद लाभार्थियों और फर्जी लाभार्थियों को समाप्त कर दिया गया है। विश्व बैंक द्वारा तैयार डिजिटल लाभांश रिपोर्ट का अनुमान है कि भारत आधार के इस्तेमाल से हर साल 77,000 करोड़ रुपये बचा सकता है।
आधार के माध्यम से बचत आयुष्मान भारत के आकार की तीन योजनाओं को वित्त पोषित कर सकती है। भारत सरकार के ”आधार” को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोशल मीडिया से विस्तार से लिखा। ”आधार” पर अरुण जेटली ने लिखा कि पिछले 28 महीनों में 122 करोड़ से ज्यादा आधार नंबर जारी किए गए हैं। 18 वर्ष से अधिक आयु की भारत की 99% वयस्क जनसंख्या कवर है। डॉयरेक्ट बेनेफिट ट्रॉन्सफर (डीबीटी) द्वारा कई राज्य सहायता योजनाओं को ”आधार” से जोड़ा गया है।
पहल और उज्जवला लाभार्थियों के 22.80 करोड़ को उनके आधार लिंक्ड बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से रसोई गैस सब्सिडी दी जाती है। 58.24 करोड़ राशन कार्ड धारक आधार से जुड़े हुए हैं। 10.33 करोड़ मनरेगा कार्ड धारकों को उनके बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से मजदूरी भुगतान मिलता है। राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के 1.93 करोड़ लाभार्थी और अन्य लाभार्थी हैं। आयकर विभाग ने पहले ही 21 करोड़ पैन कार्ड धारकों को उनके आधार संख्या के साथ जोड़ा है।
अधिकांश योजनाओं में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण लाभार्थियों के 63.52 करोड़ बैंक खातों में होता है, जिन्हें विशिष्ट पहचान के साथ जोड़ा गया था। आधार के माध्यम से सब्सिडी लेनदेन की कुल संख्या लगभग 425 करोड़ है। आधार के माध्यम से हस्तांतरित सब्सिडी की कुल राशि अब 169,868 करोड़ रुपये के बराबर है। बिचौलियों के खात्मे से लाभ सीधे बैंक खातों में जाता है। यह केवल भारत में लागू की गई एक अनोखी तकनीक है।(हि.स.)।