- कांग्रेस में अब ढाई साल का राग अलापने पर अघोषित रोक
- आगामी विधानसभा चुनाव तक हर स्तर दिखानी होगी एकजुटता
By Line – Arun Upadhyay
रायपुर (mediasaheb.com) छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की राजनीति में भूपेश सरकार के आने के बाद से लगातार ढाई साल का मुद्दा उछाल मारता रहा है या उछाला जाता रहा है। मुख्यमंत्री के रूप में जैसे ही भूपेश बघेल का नाम तय हुआ, अचानक से ढाई- ढाई साल का फार्मूला मीडिया में तैरने लगा और कांग्रेस सरकार के ढाई साल पूरा होने पर भी अचानक से सतह में आ गया था। ऐसा दावा किया जा रहा था कि भूपेश बघेल ढाई साल सीएम रहेंगे और उसके बाद की कमान टीएस सिंहदेव को मिल जाएगी। दरअसल, दिसंबर 2018 में कांग्रेस ने प्रदेश में बहुमत हासिल किया, तब सीएम का फैसला करने में देर हो गई। फैसले की आखिरी घड़ी तक भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू दिल्ली में डटे रहे। तब अगले मुख्यमंत्री का नाम आने के बाद ढाई- ढाई साल की बात अचानक नेशनल मीडिया में दिखने लगी। मामले ने तूल पकड़ा और सिंहदेव भी कभी इस बात को स्पष्ट नहीं कर सके, जबकि भूपेश बघेल ने हर बार यही कहा है कि संगठन का फैसला सर्वोपरि है और जैसा आदेश होगा पालन करेंगे। अब ढाई साल बीत चुका है और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री हैं तो जाहिर है, ढाई साल की बात हवा- हवाई थी। इस ढाई साल के मसले को भाजपा ने भुनाने का काफी प्रयास किया। इसके जरिए भाजपा ने साबित करने की कोशिश की कि कांग्रेस में अंदरूनी कलह है।
ढाई साल के मसले को कांग्रेस हाईकमान ने काफी गंभीरता से लिया है, इस बात से चिंतित दिखा कि विपक्ष ने इसका फायदा उठाने की कोशिश की है। जबकि हाईकमान बिल्कुल भी नहीं चाहता कि सत्ता मिलने के बाद अब किसी भी स्तर पर पार्टी में बिखराव दिखे। भूपेश बघेल का चयन मुख्यमंत्री के लिए हुआ था तब राहुल गांधी ने वरिष्ठ नेताओं के साथ तस्वीर जारी कर एकजुटता का संदेश दिया था। इसी एकजुटता को पार्टी बनाए रखना चाहती है, ताकि 15 साल बाद मिली सत्ता का सिलसिला अगले विधानसभा चुनाव में जारी रहे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि हाईकमान ने अब ढाई साल के मसले को पूरी तरह लॉक कर दिया है और किसी भी स्तर पर किसी भी कांग्रेसी नेता को इस सिलसिले में किसी तरह के बयान देने की अनुमति नहीं है। इस तरह की औपचारिक रोक तो नहीं लगाई गई है, पर पार्टी के हर स्तर पर इसका संदेश जा चुका है। अब ढाई साल की जगह पार्टी भूपेश सरकार के कामकाज को मुद्दा बनाना चाहती है, जिससे जनता के बीच लगातार इस मसले पर संदेश जाता रहे और अगले चुनाव में कांग्रेस की फिर से सत्ता पर वापसी का रास्ता आसान हो सके।
पार्टी ने यह भी पता लगाने की कोशिश की है कि ढाई साल के मुद्दे को किस स्तर पर किसने प्रोत्साहित करने का प्रयास किया है। ऐसा माना जा रहा है कि सिंहदेव को मुख्यमंत्री के रूप में देखने के इच्छुक कार्यकर्ता ढाई साल का राग अलापते रहे। यही कारण है कि जैसे ही भूपेश सरकार का ढाई साल पूरा हुआ, मसला चर्चा में आ गया था। यह मामला अब तो पूरी तरह बंद हो चुका है, लेकिन सरकार के कुछ फैसलों पर असहमति जता कर सिंहदेव ने विरोधियों को मौका दे दिया है। इसमें गांव में निजी हाथों के सहयोग से अस्पताल खोलने का फैसला ताजा है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि जैसे- जैसे विधानसभा चुनाव के दिन नजदीक आएंगे, संगठन के स्तर पर नाराजगी या मतभेद पर बारीक निगाह रखी जाएगी। कोशिश की जाएगी कि मतभेद के कारणों पर जाकर उसे समाप्त किया जाए। आने वाले दिनों में संगठन की बैठकों में मतभेद दूर करने पर जोर दिया जा सकता है। इस दिशा में कवायद शुरू हो गई है और संगठन के ब्लाक से जिला स्तर तक की बैठकों का आयोजन सिलसिलेवार किया जाएगा। इसकी तारीखें बारिश के बाद आ सकती हैं।
चुनाव के लिए तैयार की जाएगी ठोस जमीन
सरकार ने ढाई साल बीतते ही अगले ढाई साल में विधानसभा चुनाव के लिए ठोस राजनीतिक जमीन तैयार करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। यही कारण है कि सरकार ने टॉस्क फोर्स बना कर जमीनी मुद्दों पर मंथन प्रारंभ किया है। टॉस्क फोर्स में आए सुझावों के आधार पर सरकार निचले स्तर के लिए प्लान लागू करेगी। कांग्रेस सरकार का लक्ष्य अपने वोट बैंक को न केवल मजबूत करना, बल्कि स्थायी करना भी है। इस क्रम में सरकार ने किसानों के बाद मजदूरों को न्याय योजना से जाेड़ा है। संगठन का ऐसा मानना है कि किसान, मजदूर जैसे वर्ग ही स्थायी वोट बैंक बन सकते हैं। लगभग ऐसा ही फार्मूला पश्चिम बंगाल में देखने को मिला था, जहां ज्योति बसु और फिर ममता बनर्जी लगातार सीएम बनी हैं।
संगठन को मिलेंगे दमदार नेता
भूपेश सरकार में निगम, मंडलों के गठन की प्रक्रिया सतत चल रही है। इस बीच कांग्रेस ने सरकार के साथ संगठन के ढांचा का भी ख्याल रखने का स्पष्ट संकेत दिया है। संगठन के विभिन्न पदों में वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को जगह दी जाएगी। इससे कार्यकताओं को सही मार्गदर्शन मिलेगा और ऐन चुनाव के वक्त आपा- धापी की नौबत नहीं आएगी। राजधानी में ही कुछ वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ऐसे हैं, जो अब तक निगम, मंडल में जगह नहीं पा सके हैं और संकेत यही हैं कि उनका उपयोग संगठन में ही किया जाएगा।
जब आदेश होगा, हट जाऊंगा-बघेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि आलाकमान के आदेश पर कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं। जब आलाकमान का आदेश होगा, हट जाऊंगा। ढाई साल का फार्मूला गठबंधन की सरकार के लिए होता है, छत्तीसगढ़ में तीन चौथाई से ज्यादा बहुमत की कांग्रेस सरकार है। (the states. news)