रायपुर(media saheb) पूर्व विधायक व जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने बजट को लेकर 7 कमियाँ गिनाई है। उन्होंने कहा कि किसानों की क़र्ज़ माफ़ी को लेकर सरकार का “एक नवजात शिशु की तरह क़दम उठाना” बेहद निराशाजनक है। दस दिनों में सम्पूर्ण कर्ज माफ़ी की घोषणा करने वाली सरकार की ये पहला वादाखिलाफ़ी है। 40,0000 करोड़ के व्यावसायिक बैंकों से लिए क़र्ज़े के विरुद्ध मात्र 5000 करोड़ का प्रावधान “ऊँट के मुँह में ज़ीरा।” आर॰बी॰आई॰ के अनुसार बजट में प्रदेश के कृषकों के 72% ऋण- मध्यकालीन और दीर्घक़ालीन ऋण- माफ़ करने का कोई प्रावधान नहीं रखा गया है।
जनघोषणा पत्र के अनुरूप शराबबंदी और बेरोज़गारी भत्ता के लिए 1 लाख करोड़ के बजट में 1 का प्रावधान न करना, सरकार की दूसरी वादाखिलाफ़ी: साफ़ दिखता है कि सरकार को शराब माफ़िया ने ख़रीद लिया है।
पुलिस कर्मियों को जीवन बीमा और साप्ताहिक छुट्टी न देना; पंचायत सचिव, कोटवार, रोज़गार सहायक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन, ग्राम पटेल और रसोईया के नियमितिकरण का बजट में कोई प्रावधान नहीं रखना, सरकार की तीसरी वादाखिलाफ़ी।
प्रदेश के 85% उपभोक्ता 400 यूनिट बिजली प्रतिमाह से अधिक की खपत करते हैं; उनको बिजली बिल हाफ़ का कोई फ़ायदा नहीं। हर साल 209 करोड़ यूनिट बिजली की घटौति (डेफ़िसिट) होने के बावजूद बिजली उत्पादन क्षमता 1यूनिट भी बड़ाने का प्रावधान नहीं करना। ये सरकार की चौथी वादाखिलाफ़ी।
स्टेट जी॰एस॰टी॰, पेट्रोल और डीज़ल पर वैट और बिजली शुल्क की वसूली में कटौती न करना, सरकार की पाँचवी वादाखिलाफ़ी। ऐसा न करके सरकार ने प्रदेश में नए उद्योगों (जो कि राज्य की अर्थव्यवस्था को सबसे ज़्यादा कर देते हैं) के खुलने का और जी॰डी॰पी॰ बड़ाने का रास्ता बंद कर दिया।
रमन सरकार ने भूमि-अधिग्रहण की दर आधा (मार्केट दर से चार से दो गुना करने का निर्णय) कर दी थी। इसे यथावत न रखना सरकार की छटवी वादाखिलाफ़ी।
सरकार द्वारा आउट्सॉर्सिंग नीति पर स्पष्ट रूप से रोक न लगाना, स्वास्थ एवं शिक्षा सेवाओं में 23,456 रिक्त पदों में भर्तियाँ न करना- सरकार की सातवी वादाखिलाफ़ी।
LIBOR दर पर आधारित ए॰डी॰बी॰ से लिए जा रहे क़र्ज़े की तीसरी किश्त भविष्य की पीढ़ी के लिए घातक सिद्ध होगी: लगातार कमज़ोर होते रुपए की जगह डॉलर में ऋण अदायगी की शर्त के कारण सरकार को ऋण चुकाने के लिए अब लगभग 17000 करोड़ अतिरिक्त ऋण लेना पड़ेगा, जो कि सरासर नाइंसाफ़ी है।
करनी और कथनी में भारी अंतर
अमित जोगी ने कहा कि भूपेश करना तो बहुत कुछ चाहते थे पर उसको करने के लिए सही नीति और सही नियत का मानसिक और वैचारिक अभाव है। आय के स्रोत के लिए सरकार पूर्णतः शराब बेचने पर निर्भर रहेगी, आय के स्रोतों की वैकल्पिक व्यवस्था के निर्माण न करना सरकार के मानसिक दिवालियापन को स्पष्ट दिखाता है। आज प्रदेश में पाए जाने वाले 47 खनिज पदार्थों में से केवल 7 का खनन हो रहा है, बाक़ी के बारे में सरकार के पास कोई सोच नहीं। सरकार उपभोग-आधारित जी॰एस॰टी॰ प्रणाली लागू होने के बाद उत्पादन-आधारित छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था को लगभग 25000 करोड़ के सालाना घाटे की पूर्ति कैसा पूरा करेगी? इसका कोई ज़िक्र नहीं। बजट में सरकार के प्रशासनिक व्यय में एक रुपए की कमी नहीं दिखती।