जगदलपुर, (mediasaheb.com) बस्तर पुलिस नक्सलियों का आहट सुनने के लिए पहले स्थानीय देशी कुत्तों को प्रशिक्षण देकर केन्द्रीय सुरक्षा बल के कैम्प और थाने के आसपास के इलाकों में तैनात करती थी। रात के अंधेरे में यह कुत्ते आने-जाने वालों की आहट सुनकर चौकन्ना हो जाते हैं और पुलिस को भी चौकन्ना कर देते हैं। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अब इस काम के लिए बोतलों का इस्तेमाल किया जा रहा है। नक्सलियों की आहट और नक्सलियों द्वारा किए जाने वाले हमलों को विफल करने के लिए इन दिनों जवान कैंप में बंदूकों के साथ ही खाली पड़ी बोतलों का उपयोग करते हैं।
कोई भी फेंसिंग से कैंप में घुसने का प्रयास करता है, तो तुरंत बोतलों के आपस में टकराने की आवाज आती है। इससे मोर्चे पर तैनात संतरी पहले से अधिक अलर्ट हो जाते हैं, जिस ओर से आवाज आती है, उस ओर जवानों द्वारा पूरी सतर्कता बरती जाती है। दंतेवाड़ा जिले में 40 से अधिक जगहों पर तैनात सीआरपीएफ, सीएफ, एसटीएएफ के कैंपों में सैकड़ों खाली बोतलों को फेंसिंग पर लटकाया गया है।
कंटीले तारों पर खाली बोतल शायद आम आदमी की समझ से परे हो, पर सुरक्षा में इन बोतलों की अहम भूमिका है। समेली में तैनात सीआरपीएफ 111 सी कंपनी के सहायक कमाडेंट रवि छत्री ने बताया कि खाली बोतल संतरी को अलर्ट करने का काम करती है। कहीं से कोई भी घुसपैठिया या जानवर फेंसिंग से अंदर आने की कोशिश करता है तो चारों तरफ लगी बोतलें तार के हिलने से बजने लगती हैं और जवान एलर्ट हो जाते हैं।(हि.स.)।