पटना से रवाना हुआ, मार्च के पहले सप्ताह में पहुंचेगा गुवाहाटी
नई दिल्ली (media saheb.com)। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग व आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पटना से गुवाहाटी के लिए अंतर्देशीय जलमार्ग पोत एमवी लाल बहादुर शास्त्री को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस पोत ने आज पटना से अपनी यात्रा शुरू की है और यह गुवाहाटी स्थित पांडु के लिए 200 मीट्रिक टन खाद्यान्न ले जा रहा है। यह बांग्लादेश से होते हुए मार्च, 2022 की शुरुआत तक गंतव्य स्थल तक पहुंचेगा। मंत्री ने बिहार के सारण में राष्ट्रीय जलमार्ग -1 (गंगा नदी) पर कालूघाट इंटरमॉडल टर्मिनल का शिलान्यास भी किया।
इस ऐतिहासिक समारोह में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल (वर्चुअल माध्यम के जरिए) केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण व पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर, बिहार के उपमुख्यमंत्री ताराकिशोर प्रसाद व रेणु देवी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मंगल पाण्डेय, बांग्लादेश के पोत परिवहन राज्य मंत्री खालिद महमूद चौधरी, लोक सभा सदस्य राजीव प्रताप रूडी, राज्य सभा सदस्य सुशील कुमार मोदी, लोक सभा सदस्य रवि शंकर प्रसाद और राज्य सरकार व भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के अन्य गणमान्य व्यक्ति व वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
यह पोत राष्ट्रीय जलमार्ग -1 (गंगा नदी) के भागलपुर, मनिहारी, साहिबगंज, फरक्का, ट्रिबेनी, कोलकाता, हल्दिया, हेमनगर से होते हुए यात्रा करेगा। इससे आगे यह इंडो बांग्लादेश प्रोटोकॉल (आईबीपी) के खुलना, नारायणगंज, सिराजगंज, चिलमारी और राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या -2 के धुबरी व जोगीघोपा होते हुए 2,350 किलोमीटर की दूरी तय करेगा। इस पोत को अपनी यात्रा को पूरा करने में लगभग 25 दिन लगेंगे और इसके मार्च की शुरुआत तक गुवाहाटी के पांडु पहुंचने की उम्मीद है। यह ऐतिहासिक उपलब्धि से उत्तर पूर्व भारत के सभी राज्यों के लिए विकास के एक नए युग की शुरुआत हुई है। यह जलमार्ग उन भूबंधित क्षेत्रों से होकर जाएगा, जो लंबे समय से विकास के संबंध में पिछड़ा हुआ है। यह जलमार्ग न केवल इस क्षेत्र में प्रगति की राह में इस भौगोलिक बाधा को दूर करता है, बल्कि व्यापार व क्षेत्र के लोगों के लिए एक सस्ता, तेज और सुविधाजनक परिवहन भी प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री की “एक्ट ईस्ट” नीति के अनुरूप पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के तहत राष्ट्रीय जलमार्ग -1, इंडो-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट और राष्ट्रीय जलमार्ग- 2 पर कई बुनियादी ढांचे से संबंधित परियोजनाओं की शुरुआत की है। इन कदमों से जलमार्गों के माध्यम से उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) के साथ कनेक्टिविटी में सुधार होगा। सरकार ने 2000 टन तक के भार वाले पोतों की सुरक्षित और सतत परिवहन के लिए एनडब्ल्यू-1 (नदी गंगा) की क्षमता में बढ़ोतरी के लिए लगभग 4600 करोड़ रुपये के निवेश के साथ महत्वाकांक्षी जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) शुरू की है।
इस ऐतिहासिक अवसर पर श्री सोनोवाल ने कहा, “यह पूरे उत्तर पूर्व के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि हम ब्रह्मपुत्र के जरिए सबसे निर्बाध माल परिवहन का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं। यह केवल पटना से पांडु तक की यात्रा नहीं है, बल्कि जलमार्गों के जरिए एक व्यापक विश्व तक पहुंचने की अधूरी इच्छाओं और आकांक्षाओं की यात्रा है। यह असम और उत्तर पूर्व के लोगों के लिए शानदार अवसर है। प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में अब उत्तर पूर्व क्षेत्र को हाशिए पर नहीं छोड़ा गया है, बल्कि अष्टलक्ष्मी संकल्प के अनुरूप कार्य करने और संभावनाओं को खोलने के लिए हर संभव प्रयास किए गए हैं। हमें विश्वास है कि जलमार्ग के जरिए माल ढुलाई को फिर शुरू करने की पहल भारत के उत्तर पूर्व क्षेत्र को विकास के इंजन के रूप में क्रियाशील करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है।”
आईडब्ल्यूएआई का लक्ष्य इन मार्गों पर नियमित तौर पर निर्धारित सेवाओं का परिचालन करना है। भारत और बांग्लादेश के बीच अंतर्देशीय जल पारगमन और व्यापार (पीआईडब्ल्यूटीटी) पर प्रोटोकॉल इन देशों के पोतों के माध्यम से दोनों देशों के बीच वस्तुओं की आवाजाही के संबंध में अपने जलमार्गों के उपयोग के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यवस्था की अनुमति देता है। राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा नदी), इंडो- बांग्लादेश प्रोटोकॉल (आईबीपी) के मार्गों से होते हुए राष्ट्रीय जलमार्ग-2 (ब्रह्मपुत्र नदी) और राष्ट्रीय जलमार्ग-16 (बराक नदी) से जुड़ा हुआ है। पोत परिवहन क्षमता में सुधार के लिए आईबीपी मार्गों के दो हिस्सों यानी सिराजगंज-दाइखोवा और आशुगंज-जकीगंज को भी 80:20 शेयर के आधार पर (80 फीसदी भारत और 20 फीसदी बांग्लादेश) 305.84 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है। इन हिस्सों के विकास से आईबीपी मार्ग के जरिए उत्तर पूर्वी क्षेत्र को निर्बाध परिवहन की सुविधा मिलने की उम्मीद है। सात वर्षों (2019 से 2026 तक) की अवधि के लिए पोतों को अपेक्षित गहराई प्रदान करने और इसे बनाए रखने के लिए दो हिस्सों पर ड्रेजिंग (तल को गहरा करना) के अनुबंध के तहत काम किया जा रहा है|