–चर्चों व होटलों को बनाया गया निशाना
–मरनेवालों में करीब 30 विदेशी नागरिक
–अभी तक किसी ने नहीं ली हमले की जिम्मेदारी
–मरनेवालों में भारत के तटीय क्षेत्र मंगलुरु की एक महिला भी
कोलंबो, (mediasaheb.com) श्रीलंका की राजधानी कोलंबो रविवार सुबह आत्मघाती बम धमाकों से लहूलुहान हो गई। लगभग छह घंटे के दौरान किए गए आठ बम धमाकों में मरनेवालों की संख्या दो सौ के पार पहुंच गई है। मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है क्योंकि तक़रीबन चार सौ लोग इन हमलों में घायल हुए हैं। मरनेवालों में करीब 30 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। हमलावरों ने पूरी तैयारी के साथ ईस्टर के त्योहार को देखते हुए गिरजाघरों और होटलों को निशाना बनाया। हालांकि अभी तक किसी भी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। श्रीलंका सरकार की तरफ से कहा गया कि है कि सिलसिलेवार बम धमाके आत्मघाती हमलावरों ने किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्षों ने इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है।
ईस्टर के मौके पर सिलसिलेवार बम धमाका
कोलंबो में रविवार को ईस्टर के मौके पर आठ स्थानों पर किए गए आत्मघाती बम धमाकों में मरनेवालों की संख्या 200 के पार हो गई है। इन धमाकों से 400 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं। आत्मघाती हमलावरों ने तीन गिरजाघरों और तीन होटलों को निशाना बनाया। एक विस्फोट कोच्चिकाडे स्थित सेंट एंथोनी चर्च और दूसरा नेगोम्बो कतुवापिटिया सेंट सबास्टियन चर्च में हुआ है। किंग्सबरी होटल, शांगरीला होटल और बट्टिकलोवा में भी बम धमाके हुए हैं। धमाकों में करीब 30 विदेशी नागरिकों के मारे जाने और घायल होने की भी सूचना है। मरनेवालों में भारत के तटीय क्षेत्र मंगलुरु की एक महिला भी शामिल है। म़ृतक महिला की पहचान कासरगोड के पास मोगराल पुत्तुर निवासी राजीना (58) के रूप में हुई है जो इस समय मंगलुरु में रह रही थी। मंगलुरु के बेकमपाड़ी निवासी कादर कुक्कड़ी की पत्नी राजीना पति के साथ श्रीलंका गई थी। श्रीलंका के एक होटल में वह अपने रिश्तेदारों के साथ रुकी हुई थी। होटल में विस्फोट के दौरान महिला की मौत हो गई।
आत्मघाती हमलावरों ने दिया अंजाम
श्रीलंका सरकार ने इन हमलों के बारे में कहा है कि आत्मघाती हमलावरों ने सीरियल बम ब्लास्ट को अंजाम दिया, जिसकी साजिश विदेशों में रची गई। इस मामले में सात लोगों की गिरफ्तारी हुई है। बताया जा रहा है कि खुफिया एजेंसियों ने पूर्व में ही ईस्टर के मौके पर बम धमाकों को लेकर सतर्क किया था, जिसे नजरअंदाज किया गया। धमाकों के बाद राजधानी की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। अगले आदेश तक कर्फ्यू लगा दी गई है और तमाम सोशल मीडिया पर पाबंदी लगा दी गई है। घटनास्थल पर राहत और बचाव कार्य जारी है। हर तरफ अफरातफरी की स्थिति है और अस्पतालों में हमले में घायलों की संख्या पूरे दिन लगातार बढ़ती गई। इस बीच पुलिस की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं और उन्हें काम पर लौटने को कहा गया है। स्कूल-कॉलेजों में भी दो दिनों की छुट्टियां की गईं हैं।
किसी संगठन ने नहीं ली जिम्मेदारी
इन विस्फोटों की अब तक किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है। श्रीलंका के वित्तमंत्री मंगला समरवीरा ने ट्वीट किया है कि चर्चों और होटलों में ईस्टर संडे बम धमाकों में निर्दोष लोग मारे गए हैं। ऐसा लगता है कि हत्या, अफरातफरी और अराजकता फैलाने के लिए इसे बहुत व्यस्थित तरीके से अंजाम दिया गया है। श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति और विपक्षी नेता महिंदा राजपक्षे ने धमाकों की निंदा करते हुए इसे अमानवीय करार दिया है।
दुनियाभर में हमले की चौतरफा निंदा
इस आतंकी हमले की दुनिया भर में कड़ी निंदा हो रही है। भारत सहित दुनिया के दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने हमले की निंदा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से फोन कर घटना को लेकर गहरा दुख जताते हुए कहा कि संकट की इस घड़ी में भारत श्रीलंका के साथ खड़ा है। भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया है, मैं कोलंबो में भारतीय उच्चायुक्त से लगातार संपर्क में हूं। स्थितियों पर हम करीब से नजर रखे हुए हैं। भारतीयों के लिए हेल्पलाइन नंबर 94112422788/94112422789 जारी किया गया है।
इससे पहले भी दहल चुका है श्रीलंका
इससे पहले श्रीलंका में अधिकतर धमाके तमिल आतंकी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) ने किए हैं। वेलुपिल्लई प्रभाकरन ने मई 1976 में लिट्टे की स्थापना की थी।
लिट्टे ने 1987 में किया था पहला आत्मघाती हमला
लिट्टे ने पहली बार आत्मघाती बम विस्फोट 1987 में किया था। लिट्टे के कैप्टन मिलर ने श्रीलंकाई सेना के शिविर में विस्फोटकों से लदे एक ट्रक को उड़ा दिया था। इसमें 40 सैनिक मारे गए थे।
11 जून 1990ः लिट्टे ने ईस्टर्न प्रोविएंस में धमाका किया। इसमें 600 से अधिक लोग मारे गए।
1996 में संघर्षः इस साल उत्तरी श्रीलंका में लिट्टे और सेना के बीच संघर्ष हुआ। 18 जुलाई 1996 से 25 जुलाई 1996 के मध्य हुए संघर्ष में हजारों लोगों की जान गई। हालांकि सरकार ने इस अवधि में सिर्फ 207 लोगों के मरने का दावा किया।
15 अक्टूबर 1997ः कोलंबो के वर्ड ट्रेंड सेंटर में विस्फोट में 17 लोगों की जान गई।
1998ः लिट्टे ने श्रीलंका के कैंडी में टूथ रेलिक के बौद्ध मंदिर को निशाना बनाया। हमले में 17 लोगों की जान गई। यहां बुद्ध के दांत के अवशेष हैं। इस स्थान को यूनेस्को ने विश्व धरोहरों में शामिल किया है।(हि.स.)।