पटना
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले बिहार में राजनीति का बड़ा 'खेला' शुक्रवार को हो रहा है। कई 'पूर्व' और 'दिग्गज' पार्टियां बदल चुके हैं, लेकिन चुनावी साल में किसी चर्चित मौजूदा विधायक का पार्टी-बदल पहली बार हो रहा है। खगड़िया के परबत्ता से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड के विधायक डॉ. संजीव कुमार 'आखिरकार' राष्ट्रीय जनता दल में जा रहे हैं। आखिरकार इसलिए, क्योंकि वह फरवरी 2024 से अब तक कभी भी जा सकते थे, लेकिन अब जा रहे हैं। फरवरी 2024 में बिहार विधानसभा के फ्लोर टेस्ट के समय से कई विधायक जदयू छोड़ने वाले थे, लेकिन डॉ. संजीव के बाद अब उनमें से एक और MLA को लेकर पार्टी अपना मन मजबूत कर चुकी है।
फ्लोर टेस्ट के समय हुए 'खेला' का प्रभाव आज तक
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले अब जो हो रहा है, उसकी नींव 11 फरवरी 2024 को पड़ गई थी। 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट होने से एक दिन पहले मंत्री विजय चौधरी के आवास पर जदयू विधायकों की मीटिंग में छह विधायक नहीं पहुंचे थे- पूर्णिया के रूपौली से बीमा भारती, पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर से धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ रिंकू सिंह, सीतामढ़ी के सुरसंड से दिलीप राय, शेखपुरा के बरबीघा से सुदर्शन कुमार, खगड़िया के परबत्ता से डॉ. संजीव कुमार, पूर्वी चंपारण के केसरिया से शालिनी मिश्रा। तब मंत्री विजय चौधरी ने कहा था कि सभी संपर्क में हैं और जरूरी कारणों से नहीं आए हैं। लेकिन, इस दौरान राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की देखरेख में तेजस्वी यादव के लिए खेला हो रहा था। फ्लोर टेस्ट में इसी खेला के कारण राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का नंबर 128 से घटकर 125 रहा था। 'अमर उजाला' ने तब सबसे पहले हॉर्स ट्रेडिंग की जानकारी सामने लायी थी। इस साल आर्थिक अपराध इकाई की जांच इस दिशा में आगे बढ़ चुकी है, हालांकि कुछ फाइनल नहीं सामने आया है। जहां तक फ्लोर टेस्ट का सवाल है तो उसका नुकसान ज्यादा विपक्षी महागठबंधन को ही हुआ था।
नीतीश कुमार सरकार के फ्लोर टेस्ट के समय अंत में डॉ. संजीव कुमार विधानसभा पहुंच गए थे, लेकिन तब यह माना गया था कि वह राष्ट्रीय जनता दल के गेम-प्लान में शामिल थे। जब लाइव खबरों के जरिए यह पता चलने लगा कि राजद-कांग्रेस के ही कई विधायक टूटकर सत्ता पक्ष में खड़े हो गए हैं तो सरकार गिरने की आशंका नहीं, तब सत्ता पक्ष के कई गायब विधायक आननफानन में विधानसभा पहुंचे थे। उनमें डॉ. संजीव कुमार भी थे। इसके बाद लोकसभा चुनाव के समय भी डॉ. संजीव खगड़िया से राजग प्रत्याशी के खिलाफ लगातार मुखर रहे थे। खुद को लोकसभा प्रत्याशी तक बता दिया था। अब वह अंतत: राजद में औपचारिक रूप से जा रहे हैं। परबत्ता सीट पर उन्होंने राजद के दिगंबर प्रसाद तिवारी को 952 मतों से हराया था। डॉ. संजीव को राजद इसी सीट से प्रत्याशी बनाएगा। पार्टी में भी उन्हें पद दिए जाने की बात चल रही है।
कौन पहले छोड़ गए, कौन टिकेंगे, किनपर खतरा है अब
पूर्णिया से रूपौली की तत्कालीन विधायक बीमा भारती तो लोकसभा चुनाव के पहले जदयू छोड़ गईं। पूर्णिया से राजद के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़कर हारीं। फिर रूपौली के उप चुनाव में राजद के टिकट पर उतरीं तो तीसरे नंबर पर रह गईं। पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर से धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ रिंकू सिंह राजद के कुछ नेताओं से सटे नजर आए थे, लेकिन बिहार चुनाव से पहले उन्होंने लालू प्रसाद की पार्टी के कई नेताओं को जदयू में लाकर अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। शेखपुरा के बरबीघा से सुदर्शन कुमार ने पिछले दिनों सीएम नीतीश कुमार से मिलकर इस सीट को अपने लिए सुरक्षित कर लिया है। पूर्वी चंपारण के केसरिया से शालिनी मिश्रा फ्लोर टेस्ट के समय निजी काम से दिल्ली में थीं, यह उसी समय पार्टी नेतृत्व ने स्वीकार कर लिया था। वह लगातार पार्टी की तरफ से सक्रिय हैं। अब सीतामढ़ी के सुरसंड से दिलीप राय को लेकर संशय है। सीतामढ़ी में जदयू उन्हें पार्टी से बाहर मान चुका है। उन्हें पार्टी के औपचारिक कार्यक्रमों से दूर रखा जा रहा है। इंतजार इसी बात का हो रहा है कि कब वह छोड़कर जाएं।