समस्तीपुर
पेयजल की गुणवत्ता को लेकर अब समस्तीपुरवासियों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। जिले की जल जांच प्रयोगशाला को राष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (NABL) से मान्यता प्राप्त हो गई है। इससे अब भारतीय मानकों के अनुरूप पानी की जांच स्थानीय स्तर पर ही प्रमाणिक रूप से हो सकेगी और इसकी रिपोर्ट राष्ट्रीय स्तर पर मान्य होगी।
अब पटना भेजने की जरूरत नहीं
अब तक जिले में पानी की गुणवत्तापरक जांच के लिए सैंपल पटना भेजना पड़ता था, जिससे प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली हो जाती थी। कई बार लोग बिना जांच के ही पानी के उपयोग को विवश हो जाते थे। लेकिन अब एनएबीएल प्रमाणित प्रयोगशाला के जरिए यह जांच समस्तीपुर में ही हो सकेगी, जिससे समय और संसाधनों की बचत होगी।
13 मानकों पर होगी जांच
पीएचईडी विभाग के कार्यपालक अभियंता कुमार अभिषेक ने बताया कि इस प्रयोगशाला को कुल 13 मानकों पर जल परीक्षण की मान्यता प्राप्त हुई है। इसके तहत नल-जल योजना, हैंडपंप, आरओ और घरेलू जल स्रोतों की शुद्धता की सटीक जांच संभव हो सकेगी।
हर नागरिक करा सकेगा पानी की जांच
कोई भी नागरिक अपने घर या आसपास के क्षेत्र के पानी का सैंपल किसी साफ डब्बे में भरकर प्रयोगशाला में जमा कर सकता है। 24 घंटे के भीतर जांच रिपोर्ट प्रदान कर दी जाएगी, जिससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि पीने योग्य पानी स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है या नहीं।
नियमित जांच से सुनिश्चित होगी सुरक्षित जल आपूर्ति
अधिकारियों के अनुसार, जिले की हर नल-जल योजना के पानी की गुणवत्ता की नियमित अंतराल पर जांच की जा रही है। जहां गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्र हैं, वहां हर माह जांच की जाती है, जबकि अन्य क्षेत्रों में हर चार महीने पर परीक्षण होता है।
स्वस्थ जीवन के लिए शुद्ध जल अनिवार्य
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, शुद्ध पेयजल से पेट संबंधी बीमारियों में कमी आती है। खासतौर पर अत्यधिक आयरन युक्त पानी कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। 0.3 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक आयरन होने पर पानी का स्वाद और रंग बदल जाता है, साथ ही बर्तनों व कपड़ों पर दाग भी छोड़ता है।