जयपुर,
पशुपालन विभाग द्वारा भारत सरकार की असिस्टेंस टू स्टेट्स फॉर कंट्रोल ऑफ एनिमल डिजीज (एस्केड) योजना के अंतर्गत राज्य रोग निदान केंद्र के तत्वावधान में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम अंतर्गत पशु चिकित्सा अधिकारियों को फॉरेंसिक आस्पेक्ट ऑफ वेट्रो लीगल केसेज के पहलुओं के साथ साथ डीएनए फिंगर प्रिटिंग के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुक्रवार को संपन्न हुआ। दो चरणों में संपन्न दो प्रशिक्षण कार्यक्रमों में प्रदेश भर से कुल 185 पशु चिकित्सकों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम के आयोजन में राज्य फॉरेंसिक विज्ञान संस्थान तथा एस एम एस मेडिकल कॉलेज की भी सहभागिता रही। राज्य रोग निदान केंद्र के संयुक्त निदेशक डॉ लोकेश शर्मा ने बताया कि राज्य फॉरेंसिक विज्ञान संस्थान के विषय विशेषज्ञों ने प्रशिक्षणार्थियों को फॉरेंसिक पहलुओं के साथ साथ डीएनए फिंगर प्रिटिंग आदि विषयों के बारे में जानकारी प्रदान की। प्रशिक्षण के दौरान सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज द्वारा ब्रूसेल्ला, लेप्टोस्पाइरोसिस और स्क्रब टाइफस जैसे जूनोटिक रोगों के जांच हेतु प्रशिक्षणार्थियों का ब्लड सैंपल लिया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पशु चिकित्सकों को संबोधित करते हुए विभाग के निदेशक डॉ आनंद सेजरा ने कहा कि पशु चिकित्सा न्यायशास्त्र ¼Veterinary Jurisprudence½ वह क्षेत्र है जो पशु चिकित्सा कानून, नैतिकता, और कानूनी मामलों से संबंधित है, जिसमें पशुओं के उपचार के दौरान हुई लापरवाही या दुर्व्यवहार के कानूनी निहितार्थ और पशु-कानूनी मामलों में पोस्टमार्टम और कानूनी रिकॉर्ड का प्रबंधन शामिल है। उन्होंने कहा कि विभाग के अधिकारियों के क्षमतावर्द्धन के लिए इस तरह के प्रशिक्षण के कार्यक्रम बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
उल्लेखनीय है कि एस्केड योजना का मुख्य उद्देश्य प्रमुख रोगों की रोकथाम व नियंत्रण हेतु टीकाकरण, टीका उत्पादन तथा रोग निदान की सुविधाएं पशुपालकों को उपलब्ध कराकर उन्हें आर्थिक हानि से बचाना है।