वॉशिंगटन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार कह रहे हैं कि यदि ईरान पीछे नहीं हटा तो फिर उसे अंजाम भुगतना पड़ सकता है। उन्होंने अमेरिका के जंग में कूदने के सवाल पर खुलकर कुछ नहीं कहा, लेकिन इनकार भी नहीं किया है। इस बीच खबर है कि ईरान मिसाइलें तैयार कर रहा है ताकि मिडल ईस्ट में बने अमेरिका के ठिकानों को भी टारगेट किया जा सके। अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। यदि ऐसा कुछ ईरान की ओर से होता है तो फिर डोनाल्ड ट्रंप को एक बहाना मिल जाएगा और अमेरिका सक्रिय तौर पर जंग में उतर सकता है।
अमेरिका ने तीन दर्जन रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट्स को यूरोप भेजा है, जिन्हें मिडल ईस्ट में अमेरिकी बेसों की रक्षा करने वाले फाइटर जेट्स की मदद के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। अमेरिकी सूत्रों को अंदेशा है कि ईरान की तरफ से उनके बेसों पर अटैक किया जा सकता है। यही नहीं इजरायल की ओऱ से भी लगातार अमेरिका पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह इस जंग में दखल दे। इसकी वजह यह भी है कि ईरानी मिसाइलों को रोकते-रोकते इजरायल का एयर डिफेंस थक गया है और उसे भी फिलहाल दोबारा नए सिरे से सक्रिय करने की जरूरत है।
एक आशंका यह भी है कि यदि अमेरिका ने ईरान की न्यूक्लियर साइट फोरदो पर अटैक किया तो फिर लाल सागर में हूथी विद्रोही अटैक कर सकते हैं। वहां कई देशों के जहाजों को वे निशाना बना सकते हैं। इसके अलावा इराक और सीरिया में स्थित ईरान समर्थित उग्रवादी संगठन भी अमेरिकी ठिकानों को निशाना बना सकते हैं। इसके अलावा ईरान की तरफ होर्मुज स्ट्रेट भी रोकने का प्रयास हो सकता है। फिलहाल अमेरिका ने सऊदी अरब, जॉर्डन और यूएई में स्थित अपने सैनिकों को सक्रिय कर दिया है। पश्चिम एशिया में अमेरिका के करीब 40 हजार सैनिक तैनात हैं।
इराक में स्थित अमेरिकी ठिकानों पर है ईरान की नजर
दो ईरानी अधिकारियों के हवाले से न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि इजरायल के समर्थन में अमेरिका ने अपनी सेना लगाई तो फिर इराक में स्थित उसके ठिकानों को टारगेट किया जाएगा। ईरानी सूत्रों ने कहा कि हमारे दुश्मनों को याद रखना चाहिए कि वे सैन्य बल से कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे। यदि ईरान पर उन लोगों ने जंग थोपी तो कुछ हासिल नहीं होगा।