पटना
बिहार में विपक्षी दलों के गठबंधन ने रविवार को एक बार फिर मतदाता पुनरीक्षण को लेकर सवाल उठाए हैं। राजद के नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि केवल टारगेट पूरा करने को लेकर काम किया जा रहा है जबकि धरातल पर सही तरीके से सत्यापन नहीं हो रहा है। पटना में महागठबंधन के संयुक्त प्रेस वार्ता में विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि उच्चाधिकारियों द्वारा बीएलओ को मौखिक आदेश टारगेट पूरा करने के लिए दिए गए हैं। तेजस्वी ने आरोप लगाया कि बीएलओ बिना मतदाताओं से पूछे ही फर्जी तरीके से फॉर्म भर रहे हैं, अंगूठे के निशान या हस्ताक्षर भी खुद ही कर रहे हैं।
इस प्रेस वार्ता में उन्होंने एक वीडियो के जरिए फेंका हुआ फॉर्म भी दिखाया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सड़कों, गलियों में फॉर्म फेंका गया है और लोग जलेबी खा रहे हैं। तेजस्वी ने इस मतदाता पुनरीक्षण में सत्यापन को सिर्फ ‘आई वॉश’ करार देते हुए कहा कि भाजपा द्वारा सब कुछ पहले से तय है कि किस बूथ पर कितने मतदाताओं के नाम काटने हैं।
उन्होंने कहा कि बिहार के लोग अलर्ट हैं, इस बार आर-पार होगा। यहां 90 प्रतिशत लोग पिछड़े वर्ग से हैं, इनकी रोटी छीनी जा सकती है, लेकिन वोट का अधिकार छीना नहीं जा सकता है। उन्होंने विधानसभावार आंकड़े जारी करने की मांग करते हुए कहा कि आज चुनाव आयोग का कहना है कि 80 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया। लेकिन सवाल है कि वह किस विधानसभा क्षेत्र से हुआ और कितना हुआ?
तेजस्वी ने कहा कि मतदाताओं को यह भी पता नहीं चल रहा कि उनका फॉर्म सही जमा हुआ है या नहीं। क्योंकि आयोग न पावती पर्ची दे रहा है और न कोई विकल्प दे रहा है। आंकड़े मात्र अपलोडिंग का दर्शा रहे हैं जबकि आयोग ने प्रमाणिकता, सहमति और वैधता की कोई गारंटी नहीं दी है। आयोग का 80 प्रतिशत का दावा जमीनी हकीकत से पूरी तरह से विपरीत है।
तेजस्वी ने यह स्पष्ट किया कि महागठबंधन हर स्तर पर इस प्रक्रिया पर नजर रखे हुए है और सभी जिलों से फीडबैक लिया जा रहा है। उन्होंने आंकड़ों के जरिए बताया कि बिहार में करीब 7.90 करोड़ मतदाता हैं, अगर एक प्रतिशत भी मतदाता का नाम कट जाते हैं तो इनकी संख्या करीब आठ लाख होगी। इस प्रेस वार्ता में महागठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी ने भी अपनी बात रखी।