हिमाचल
माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर में शारदीय नवरात्र मेले को लेकर विशेष तैयारियां की गई हैं। यह मेला 22 सितंबर से 1 अक्टूबर तक चलेगा, जिसके लिए भक्तों की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु कुछ खास नियम लागू किए गए हैं। इन नियमों को जिला दंडाधिकारी जतिन लाल ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 163 के तहत जारी किया है।
इन नियमों का रखना होगा ध्यान
इन नियमों के तहत, मेले के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात जवानों के अलावा किसी भी व्यक्ति को हथियार लेकर चलने की अनुमति नहीं होगी। यह कदम श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। नवरात्रों के दौरान ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। हालांकि, मंदिर न्यास (ट्रस्ट) को इसकी अनुमति होगी। इसके साथ ही, ब्रास बैंड, ढोल, और लंबे चिमटे जैसी चीजें भी मेले में लाने की अनुमति नहीं होगी। अगर कोई श्रद्धालु इन चीजों को अपने साथ लाता है, तो उन्हें पुलिस द्वारा लगाए गए बैरियर पर जमा करवाना होगा।
पर्यावरण को साफ रखने के उद्देश्य से पॉलीथीन के उपयोग पर भी पूरी तरह से रोक रहेगी। इसके अलावा, सड़क के किनारे या खुले में लंगर लगाने की भी अनुमति नहीं होगी। सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए आतिशबाजी पर भी पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। नवरात्र के दौरान हिमाचल प्रदेश के अन्य शक्तिपीठों, जैसे श्रीनयना देवी, कांगड़ा के श्रीबज्रेश्वरी देवी मंदिर, श्रीज्वालाजी माता, श्री चामुंडा देवी मंदिर और वनखंडी स्थित श्री बगलामुखी माता मंदिर में भी विशेष तैयारियां चल रही हैं। इन मंदिरों को फूलों से सजाया जा रहा है, जिससे यहां का माहौल और भी भक्तिमय हो गया है।
पर्ची लेना अनिवार्य होगा
इन नियमों में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि सभी श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए पंजीकरण काउंटर से पर्ची लेना अनिवार्य होगा। बिना पर्ची के कोई भी भक्त माता श्री चिंतपूर्णी जी के दर्शन नहीं कर पाएगा। यह व्यवस्था भीड़ को नियंत्रित करने और दर्शन को सुव्यवस्थित बनाने के लिए की गई है। इन सभी नियमों का उद्देश्य यह है कि सभी श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के मां के दर्शन कर सकें और मेला शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो सके।