शंघाई
चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई शिखर सम्मेलन का आज (1 सितंबर, 2025) दूसरा दिन है. इस समिट में भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद शामिल होने पहुंचे हैं. चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट चल रहा है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चीन के दौरे पर हैं. रविवार को तियानजिन में उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई.
अब आज सोमवार को इस समिट का सबसे अहम सत्र हुआ, जिसमें सभी सदस्य देशों के नेता साझा हितों और चुनौतियों पर चर्चा की. समिट के आखिर में साझा प्रेस नोट पर दुनिया की नजर है, जिसमें यह पता चलेगा कि सभी देशों ने किन मुद्दों पर चर्चा की, किन मुद्दों पर सहमति बनी और आने वाले समय में उनका फोकस क्या होगा.
अलास्का समिट में यूक्रेन शांति का रास्ता- पुतिन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा, 'मैं अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ अपनी अलास्का बैठक के विवरण द्विपक्षीय बैठकों के दौरान नेताओं को बताऊंगा. मैं मास्को के इस रुख को दोहराता हूं कि यूक्रेन में संकट किसी 'आक्रमण' के कारण नहीं, बल्कि यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों द्वारा समर्थित कीव में तख्तापलट के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ अलास्का शिखर सम्मेलन में बनी सहमति यूक्रेन में शांति का मार्ग प्रशस्त करती है.'
एससीओ समिट की आज अहम बैठक हो रही है। तमाम बड़े देशों ने इसमें हिस्सा लिया है। कई मुद्दों पर चर्चा हो रही है, राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों से कैसे निपटा जाए, इस पर भी मंथन हो रहा है। पीएम मोदी भी आज राष्ट्रपति पुतिन से मिलने जा रहे हैं, वहां भी कई मुद्दों पर चर्चा संभव है। रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भी बातचीत हो सकती है। माना जा रहा है कि कई मुद्दों पर सहमति बनेगी।
पीएम मोदी की रविवार को राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ भी द्विपक्षीय बैठक हुई थी। कई सालों बाद हुई इस बैठक में भारत-चीन रिश्तों पर खास फोकस किया गया। दोनों ही नेताओं ने आपसी साझेधारी की अहमियत को समझा और भविष्य में सहयोग बढ़ाने की बात कही। अब डिप्लोमेसी के उस चैप्टर के बाद आज दूसरा चैप्टर शुरू होने जा रहा है।
पुतिन ने भारत और चीन का जताया आभार
शंघाई सहयोग परिषद (SCO) के मंच से रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मैं यूक्रेन में संकट को हल करने के लिए चीन और भारत के प्रयासों की सराहना करता हूं.
: हमने हर चुनौती को अवसर में बदलने की कोशिश की- मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "आज भारत रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के मंत्र पर आगे बढ़ रहा है. हमने हर चुनौती को अवसर में बदलने की कोशिश की है. मैं आप सभी को भारत की विकास यात्रा का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करता हूं."
SCO समय की बदलती जरूरतों के साथ विकसित हो रहा है- मोदी
शंघाई सहयोग संगठन के मंच से पीएम मोदी ने कहा कि यह खुशी की बात है कि SCO समय की बदलती जरूरतों के साथ विकसित हो रहा है. संगठित अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी, साइबर सुरक्षा जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए चार नए केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं. हम इस सुधारोन्मुखी सोच का स्वागत करते हैं.
आतंकवाद पूरी मानवता के लिए साझा चुनौती- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा, 'सुरक्षा, शांति और स्थिरता किसी भी देश के विकास का आधार हैं, लेकिन आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद बड़ी चुनौतियां हैं. आतंकवाद केवल किसी किसी देश की सुरक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक साझा चुनौती है. कोई देश, कोई समाज, कोई नागरिक इससे खुद को सुरक्षित नहीं समझ सकता. इसलिए, भारत ने आतंकवाद से लड़ाई में एकता पर ज़ोर दिया है. भारत ने संयुक्त सूचना अभियान का नेतृत्व करके अल-कायदा और उससे जुड़े आतंकवादी संगठनों से लड़ने की पहल की. हमने आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई. इसमें मिले समर्थन के लिए मैं आभार व्यक्त करता हूं.'
PM मोदी ने नए अवसरों के बारे में एससीओ नेताओं को बताया
पीएम मोदी ने कहा कि अवसर का मतलब सहयोग और सुधार दोनों है. 2023 में भारत की अध्यक्षता के दौरान एससीओ में नई ऊर्जा और विचार लाए गए. स्टार्ट-अप्स और इनोवेशन, पारंपरिक चिकित्सा, युवा सशक्तिकरण, डिजिटल समावेशन और साझा बौद्ध धरोहर जैसे नए विषयों को सहयोग में शामिल किया गया.
भारत का प्रयास रहा कि एससीओ सिर्फ सरकारों तक सीमित न रहे बल्कि आम लोगों, युवा वैज्ञानिकों, विद्वानों और स्टार्ट-अप्स तक पहुंचे. लोगों के बीच संपर्क को और मजबूत करने के लिए मोदी ने सुझाव दिया कि एससीओ के तहत एक "सभ्यतागत संवाद मंच" बनाया जाए, जहां प्राचीन सभ्यताओं, कला, साहित्य और परंपराओं को वैश्विक मंच पर साझा किया जा सके.
PM मोदी ने कनेक्टिविटी बढ़ाने पर दिया जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का मानना है कि मजबूत कनेक्टिविटी सिर्फ व्यापार ही नहीं बल्कि विश्वास और विकास के दरवाजे भी खोलती है. इसी सोच के साथ भारत चाबहार पोर्ट और इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर जैसी पहलों पर काम कर रहा है. इनके जरिए अफगानिस्तान और मध्य एशिया से कनेक्टिविटी को बढ़ाया जा सकता है.
भारत का मानना है कि हर कनेक्टिविटी के प्रयास में संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना चाहिए. यह एससीओ चार्टर के मूल सिद्धांतों में भी शामिल है. ऐसी कनेक्टिविटी, जो संप्रभुता को दरकिनार करे, वह विश्वास और महत्व दोनों खो देती है.
PM मोदी ने आतंकवाद पर बिना नाम लिए पाकिस्तान को घेरा
पीएम मोदी ने कहा कि किसी भी देश के विकास का आधार सुरक्षा, शांति और स्थिरता है. लेकिन आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद इस राह में बड़ी चुनौतियां हैं. आतंकवाद किसी एक देश की सुरक्षा चुनौती नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए खतरा है. कोई भी देश, कोई भी समाज और कोई भी नागरिक इससे सुरक्षित नहीं रह सकता.
भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एकता पर जोर दिया है. एससीओ-आरएटीएस (SCO-RATS) ने इस दिशा में अहम योगदान दिया है. इस वर्ष भारत ने "अल-कायदा" और उससे जुड़े संगठनों के खिलाफ संयुक्त सूचना अभियान की अगुवाई की. हमने कट्टरपंथ से निपटने और समन्वय बढ़ाने के लिए संयुक्त कदमों का प्रस्ताव रखा. साथ ही, आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ भी आवाज उठाई और इस पर मिले समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया.
PM मोदी ने याद दिलाया कि भारत पिछले चार दशकों से निर्दयी आतंकवाद का शिकार रहा है. कई माताओं ने अपने बच्चों को खोया है और अनेक बच्चे अनाथ हुए हैं. हाल ही में पहलगाम में आतंकवाद का घृणित रूप सामने आया. इस कठिन समय में साथ खड़े मित्र देशों का आभार प्रकट किया गया. उन्होंने कहा कि यह हमला सिर्फ भारत की अंतरात्मा पर चोट नहीं बल्कि मानवता में विश्वास रखने वाले हर देश और हर व्यक्ति के लिए एक चुनौती है.
मोदी ने सवाल किया कि क्या कुछ देशों द्वारा खुलेआम आतंकवाद को समर्थन देना हमारे लिए स्वीकार्य हो सकता है? उन्होंने स्पष्ट कहा कि आतंकवाद पर कोई दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं होगा. सभी देशों को आतंकवाद के हर रूप और रंग का मिलकर विरोध करना होगा. यह हमारा मानवता के प्रति कर्तव्य है.
भारत की सोच और नीति तीन स्तंभों पर आधारित- PM मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले 24 वर्षों में एससीओ ने पूरे यूरेशिया क्षेत्र को एक परिवार की तरह जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. भारत ने एक सक्रिय सदस्य के रूप में हमेशा रचनात्मक और सकारात्मक भूमिका निभाई है. भारत की सोच और नीति तीन स्तंभों पर आधारित है
एससीओ में पीएम मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाई
पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद हमारी क्षेत्रीय शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है. भारत ने हमेशा सीमा पार आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस दृष्टिकोण की वकालत की है.
भारत ने एससीओ स्तर पर आतंकवाद के वित्तपोषण और कट्टरपंथ से निपटने के लिए एक ढांचा तैयार करने का प्रस्ताव रखा है, जिसमें हमारे डी-रेडिकलाइजेशन कार्यक्रमों को शामिल किया जा सकता है.
पीएम मोदी ने कहा कि हमें साइबर आतंकवाद और ड्रोन जैसे नए उभरते खतरों का भी सामना करना होगा. उन्होंने कहा कि एससीओ ने अपनी मजबूती साबित की है.
भारत क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढांचे (RATS), आर्थिक संपर्क पहल और सांस्कृतिक संवादों के माध्यम से आतंकवाद विरोधी प्रयासों में हुई प्रगति की सराहना करता है.