भोपाल
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के अति विशिष्ट (VVIP) इलाके 1250 क्वार्टर में एक सरकारी मकान के आंगन में बनी मजार ने विवाद खड़ा कर दिया है. हिंदू संगठनों ने इसे 'लैंड जिहाद' करार देते हुए जिला प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है. यह इलाका मंत्रियों, IAS अधिकारियों और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उपमुख्यमंत्री समेत एक दर्जन से अधिक मंत्रियों के सरकारी आवासों से महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
संस्कृति बचाओ मंच के संयोजक चंद्रशेखर तिवारी ने दावा किया कि यह मजार हाल ही में बनाई गई है और इसे सरकारी जमीन पर अतिक्रमण का हिस्सा बताया. उन्होंने कहा, "प्रशासन को इसकी जांच कर इसे हटाना चाहिए, वरना हम आंदोलन करेंगे."
वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मजार कई वर्षों से मौजूद है. आसपास रहने वाले कुछ निवासियों ने बताया कि यह मजार पुरानी है और इसे एक मुस्लिम परिवार ने बनाया था, जो इस सरकारी मकान में रहता है.
लैंड जेहाद का आरोप
स्थानीय लोगों ने रिपब्लिक भारत को बताया कि ये मजारें कई सालों से यहां है और आसपास के लोग इसका रखरखाव करते हैं। मजार वाले घर के पड़ोस की एक महिला ने बताया कि ये घर पहले मुस्लिम कर्मचारी को एलॉट था। हिंदू वादी संगठनों ने इन मजारों को लेकर आपत्ति जताई है और एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है। एसडीएम से हिंदू वादी संगठनों ने जांच की मांग की है, संगठनों का आरोप है कि ये लैंड जेहाद है।
SDM ने दिए जांच के आदेश
इस पूरे मामले को लेकर जब रिपब्लिक भारत ने एसडीएम अर्चना शर्मा से सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि सरकारी मकान के अंदर किसी भी तरह का धर्म स्थल निर्माण होना अवैध है। SDM ने कहा कि पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। अगर जांच में इसे अवैध पाया गया तो इसे तोड़ने की भी कार्रवाई की जाएगी। SDM ने स्थानीय पटवारी और तहसीलदार को जांच के आदेश दिए है, जांच रिपोर्ट आने के बाद कड़ी कार्रवाई करने बात कही है।
90% सरकारी मकान, फिर भी सिस्टम की चुप्पी
1250 क्वार्टर इलाके में करीब 90% मकान सरकारी हैं, जहां क्लास वन अधिकारी से लेकर बाबू स्तर के कर्मचारी रहते हैं. ऐसे में एक सरकारी मकान के आंगन में मजार का होना सवाल खड़े करता है.
शिकायत की कॉपी
हिंदू संगठनों ने जिला प्रशासन को शिकायत सौंपी है, जिसमें पूछा गया है कि सरकारी जमीन पर यह मजार कैसे बनी? यदि यह पुरानी है, तो इसके आसपास सरकारी इमारतें कैसे बन गईं? और यदि नई है, तो प्रशासन ने इस पर कार्रवाई क्यों नहीं की?