रांची
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) समेत झारखंड के अधिकारियों पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया गया है। दुबे ने यह कदम अपने खिलाफ ‘धार्मिक भावनाओं को आहत' करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद उठाया है।
झारखंड पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि उसने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे व मनोज तिवारी और अन्य के खिलाफ दो अगस्त को देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर के गर्भगृह में जबरन प्रवेश करने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। दुबे ने ‘एक्स' पर कहा, “मेरे खिलाफ 51 मामले दर्ज हैं। मैंने झारखंड के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, देवघर के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 105 के तहत विशेषाधिकार हनन का मामला दायर किया है।” मंदिर के पुजारी कार्तिक नाथ ठाकुर की शिकायत पर भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
शिकायत में उन पर "दो अगस्त को रात 8.45 बजे से नौ बजे के बीच मंदिर में जबरन प्रवेश करने" का आरोप लगाया गया था, जबकि बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के मद्देनजर पवित्र महीने 'श्रावण' के दौरान वीआईपी या वीवीआईपी प्रवेश पर प्रतिबंध था। गोड्डा सांसद ने देवघर में संवाददाताओं से कहा, "कानून के अनुसार, मैं एक सांसद होने के नाते बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर का ट्रस्टी हूं। मैं पुजारी से एक कदम आगे हूं। आखिर किस आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई?" सांसद ने बताया कि वह गिरफ्तारी देने के लिए बाबा मंदिर थाने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने से इनकार कर दिया। भाजपा सांसद ने कहा कि अगर उन्होंने किसी पुलिसकर्मी को धक्का दिया होता तो पुलिस या मजिस्ट्रेट ने प्राथमिकी कराई होती। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने आज इस (झामुमो नीत) सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया है।''
झारखंड भाजपा प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि पार्टी सांसदों के खिलाफ प्राथमिकी पूरी तरह से एक "राजनीतिक निर्णय और उन्हें परेशान करने के लिए है।” उन्होंने ‘एक्स' पर कहा, “निशिकांत दुबे जी आज अपनी गिरफ्तारी देने थाने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने से ही मना कर दिया। उनके खिलाफ तो मंदिर में पूजा करने पर भी मामला दर्ज किया गया। सोचिए, आस्था के अधिकार पर भी राजनीति हो रही है।” मरांडी ने कहा, “यह साफ दिखाता है कि मामला पूरी तरह राजनीतिक था और केवल उन्हें और सांसद मनोज तिवारी जी को परेशान करने के लिए ही किया गया।” उन्होंने आरोप लगाया, “दरअसल, इस राज्य सरकार का यही पैटर्न है… भाजपा नेताओं, कार्यकर्ताओं और यहां तक के परिवार वालों को भी डराने, दबाने और बदनाम करने के लिए लगातार नए मामले गढ़ना और पुलिसिया कार्रवाई करना, लेकिन सच को दबाना नामुमकिन है।”